केंद्र सरकार ने खस्ता हाल हो रहे एयर इंडिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए नीति आयोग को एक रोड मैप तैयार करने को कहा था, जिसके बाद नीति आयोग ने बताया है कि वो घाटा देने वाली एयर-इंडिया के रणनीतिक विनिवेश की तरफ आगे बढ़े, जिससे कि बचा हुआ पैसा स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे जरूरी क्षेत्रों में खर्च किया जा सके.
एयर इंडिया को बेचने के लिए ग्राउंड वर्क तैयार
नीति आयोग ने एयर इंडिया को बेचने को लेकर ग्राउंड वर्क तैयार कर लिया है. नीति आयोग की रिपोर्ट उस वक्त सामने आई है जब अरुण जेटली ने एयर इंडिया को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने की तरफदारी की थी. जेटली ने कहा था कि जब 86 प्रतिशत विमान परिचालन प्राइवेट कंपनियां कर सकती हैं तो 100 प्रतिशत भी इसे प्राइवेट हाथों में दिया जा सकता है.
हाल ही में पेश किये गए नीति आयोग की चौथी रिपोर्ट में एयर इंडिया के विनिवेश का रोडमैप तैयार किया गया है, जिसमें एयर इंडिया के 30 हजार करोड़ रुपये के लोन से बाहर निकले की बात कही गई है.
एयर इंडिया पर 60,000 करोड़ का कर्ज
एयर इंडिया के पास लगभग 60,000 करोड़ का कर्ज है, जिसमें करीब 21,000 करोड़ एयरक्राफ्ट से जुड़े लोन है और करीब 8,000 करोड़ वर्किंग कैपिटल के रूप में शामिल हैं. नीति आयोग के इस रिपोर्ट में विनिवेश के जरिए एयरक्राफ्ट से संबंधित लोन और वर्किंग कैपिटल लोन को नए मालिक को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव है.
पांच सालों में सरकार ने इस एयरलाइन को 25,000 करोड़ रुपये दिए हैं और 2032 तक इतनी ही रकम और दिए जाने की बात है. इन सभी प्रयासों के बावजूद भी एयर इंडिया को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है.
एयर इंडिया ने करीब 40,000 करोड़ रुपये का घाटा बताया था. साथ ही चालू वित्त वर्ष में भी 3,000 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया जा रहा है.
हालांकि एयर इंडिया ने 2015-16 में 105 करोड़ रुपये के ऑपरेटिंग प्रॉफिट का अनुमान लगाया था.
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