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प्रधानमंत्री मोदी पर असम बाढ़ की अनदेखी का आरोप

असम में बाढ़ से अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है और 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.

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भीषण बाढ़ की मार झेल रहे गुजरात का दौरा करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य को बाढ़ राहत के लिए 500 करोड़ रुपये दिए. इस घोषणा के बाद बाढ़ से प्रभावित दूसरे राज्य असम में प्रधानमंत्री की आलोचना हो रही है. विभिन्न संगठनों ने केंद्र सरकार पर असम की अनदेखी का आरोप लगाया है.

असम में किसानों के प्रमुख संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने जहां प्रधानमंत्री के रवैये की आलोचना की है, वहीं कांग्रेस प्रवक्ता और राज्य में मंत्री पद पर रह चुके प्रद्युत बारदोलोई ने असम की अनदेखी को लेकर प्रधानमंत्री और बीजेपी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार पर तीखा हमला किया है.

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उन्होंने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार असम में आई बाढ़ से हुई तबाही पर आंखें मूंदे हुए हैं, इसमें अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है और 25 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. केएमएसएस के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने कहा,

प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात बाढ़ राहत के लिए 500 करोड़ रुपये की राहत देने की घोषणा को लेकर हमारा कोई विरोध नहीं है. लेकिन असम की जनता भी बाढ़ की मार झेल रही है. असम को बाढ़ राहत पैकेज दिए जाने की घोषणा करने से उन्हें कौन रोक रहा है?

असम और पूर्वोत्तर अनदेखी का शिकार

कांग्रेस प्रवक्ता बारदोलोई ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर की जनता अनदेखी की शिकार हो रही है. उन्होंने कहा, " प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ चुनाव के वक्त या कांग्रेस के नेतृत्व में बनवाए गए एक विशाल पुल का उद्घाटन करने ही असम आते हैं. वह अच्छे अभिनेता हैं और उन्होंने गुजरात दौरे के बाद अपना असली रंग दिखा दिया, जबकि गुजरात आर्थिक तौर पर भी असम से मजबूत है. यहां तक कि उनके पास असम का दौरा करने का भी समय नहीं है, इसलिए उन्होंने बाढ़ का जायजा लेने के लिए एक जूनियर मंत्री को भेज दिया."

बीजेपी नेता और असम के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, असम की जनता शोपीस नहीं है कि लोग उन्हें यहां देखने आएं. हमारे पास अपने दुखों से उबरने की शक्ति है. जब हम कुछ हासिल कर लेंगे तब हम प्रधानमंत्री को यहां बुलाएंगे.

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