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नोटबंदी: 8 नवंबर की 8 कहानियां जो आपको हंसाती भी हैं,रुलाती भी हैं

नोटबंदी की ये कहानियां आपको एक साल पीछे ले जाएंगी

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भारत
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ये खबरें नहीं हैं, कहानियां हैं. नोटबंदी की. लेकिन, जब आप इन्हें पढ़ेंगे तो मालूम होगा कि ये कहानियां 8 नवंबर 2016 के बाद के हिंदुस्तान में न जाने कितनी जगह सच में घट रही होंगी. कितनी जगह कुछ रिश्ते बन रहे होंगे, कुछ बिखर रहे होंगे. ऐसे ही कुछ जज्बात में लिपटी हैं 8 नवंबर की ये 8 कहानियां.
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लड़की 704 की, लड़का 706 का

लड़की 704 में रहती थी. लड़का उसके सामने. 706 में. दोनों अकेले.
लड़की को वो खास पसंद नहीं था.
8 नवंबर को रात 9 बजे लड़के ने लड़की के फ्लैट की डोरबैल बजाई.
"जी?", लड़की ने टेढ़ा मुंह बनाकर दरवाजा खोला
"वो मैं एटीएम तक जा रहा था..अगर आपको कुछ..."
वो अपना सेंटेस पूरा करता, उससे पहले ही लड़की ने कहा, "तो जाइए...मै क्या करुं?"
और दरवाजा भड़ाक के साथ उसके मुंह पर बंद हो गया.
रात 11.30 बजे लड़के की डोरबैल बजी. लड़की सामने थी.
उसने कहा, "I am really sorry..वो मैं"
लड़के ने वॉलेट खोलकर उसे 100-100 के 20 नोट थमा दिए और बोला, "Its ok. मैंने तुम्हारे लिए भी निकाल लिए थे."
अब लड़का 704 में रहता है और कभी-कभी 706 में भी !  
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कतार में शादी

लड़के की शादी थी. सारे काम निपट गए थे.
बस, शादी के कार्ड छपने बाकी थे. शादी की तारीख थी 25 नवंबर.
दिल्ली के चावड़ी बाजार से निकलते वक्त लड़का और लड़की दोनों के चेहरे खिल गए. कार्ड दोनों ने साथ पसंद किया था.
फिर आई 8 नवंबर की रात. तमाम बुकिंग कैंसल हो गईं.
सबको नए नोट में कैश चाहिए था. जो था नहीं. शादी की तारीख आगे बढ़ गई.
लड़के ने कहा, "अब क्या करें?"
लड़की ने कहा, "आइडिया"
दोनों फिर चावड़ी पहुंचे. फटाफट 25 नवंबर की जगह 12 नवंबर के 2 कार्ड छपवाए.
कार्ड लेकर दोनों, दो अलग-अलग बैंकों की लाइन में खड़े हो गए.
शादी कतार में थी !  
नोटबंदी की ये कहानियां आपको एक साल पीछे ले जाएंगी
9 नवंबर के अखबारों की सुर्खियां
(फोटो: रॉयटर्स)
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शर्मा-शर्माइन की नोट-कथा

"सुनो, तुम्हारे पास कुछ पैसे पड़े हैं क्या?" शर्माजी ने शर्माइन से पूछा.
ये 9 नवंबर की एक खुशनुमा सुबह...आं..हम्म्म....मतलब बस सुबह थी.
"हमारे पास कुबेर का खजाना जमा करा रखा है तुमने?" शर्माइन ने तुनककर जवाब दिया.
"अरे, लड़ती काहे हो..अब जरूरत थी तो पूछ लिया...वो बस का पास बनवाना था, 550 रुपये का है. अब हमारे पास तो बस 500 के दो पुराने नोट पड़े हैं."
"अच्छा रुको, देखते हैं."
शर्माइन ने आटे के डिब्बे में हाथ डाला तो 100-100 के नोटों का पूरा बंडल बरामद हो गया.
उसमें से दो बार गिनकर 6 नोट शर्माइन ने शर्माजी को थमा दिए.
गदगद शर्माजी ने ऑफिस का टिफिन शर्माइन के चेहरे के पास लाकर प्यार से कहा,
"अरी, तुम तो हमारी अन्नपूर्णा और लक्ष्मी दोनों हो."
शादी के 27 साल बाद प्यार फिर जवान हो रहा था !  
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हेलो आशा !

"हेलो सर, मेरा नाम आशा है. हमारे पास आपके लिए बहुत अच्छा ऑफर है. इस क्रेडिट कार्ड में आपको हर शॉपिंग पर कैशबैक मिलेगा."
"अरे, आपको कितनी बार बोला नहीं चाहिए. क्यों बार-बार फोन करती हैं?"
लड़का बुरी तरह irritate हो चुका था. उसे क्रेडिट कार्ड फालतू चीज लगती थी. वॉलेट नोटों से भरा हो तो अच्छा लगता था.
10 नवंबर की दोपहर वो ऑफिस में उदास बैठा था. ऑफिस के बाकी साथी किसी न किसी कतार में लगे थे. उसकी हिम्मत नहीं हुई.
तभी उसका मोबाइल बजा.
"हेलो सर, मेरा नाम आशा है..."
"हेलो आशा...Thank God, you called. कब तक भेज सकती हो कार्ड. मुझे कल ही चाहिए."
"सर, मेरा नाम आशा है. आपकी कार सर्विस हो चुकी है. 16 हजार 500 का बिल चुकाकर गाड़ी ले जाइए !!"  
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9 नवंबर से हर दिन बीता कैश के इंतजार में, कतार में
(फोटो: रॉयटर्स)
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'मेड' इन नोटबंद इंडिया !

"भाभी ! ये महीने पगार में 3500 रुपये ज्यादा दीजिएगा...बेटी का दाखिला करवाना है अस्कूल में", मेड ने कहा.
"अरे, पढ़ा-लिखा कर क्या कलक्टर बनवाओगी उसे. पहले 'स्कूल' कहना तो सीख लो" भाभी ने कहा.
"भाभी, मे चुका देगी धीरे-धीरे. हर महीने पगार में से काट लेना", मेड ने गुजारिश की
"बेटी को काम सिखाओ काम...आगे जीवन चला पाएगी.," भाभीजी ने बिन मांगा मशवरा दिया.
तीन महीने गुजर गए. मेड की बेटी का दाखिला उस साल नहीं हो पाया.
22 नवंबर की एक दोपहर मेड के खाते में ढाई लाख आ गए.
भाभी ने अगले दिन कहा, "सुनो वो...तुम्हारे खाते में ढाई लाख डाले हैं."
"क्या के रही हो भाभी!! पन मे तो बस 3500 मांगी थी...वो भी ढाई महीना पेले..अब तो दाखिला अगले साल होंगा !!"  
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Ex, Why, No, Yes !

वो लड़के की Ex थी. कैशलेस हो चुकी ज़िंदगी Why थी. पुराने नोट No थे. लड़की Yes बैंक में थी.
लड़के ने फोन लगाया.
"क्या अभी भी प्यार है?
"नहीं"
"दोस्ती?"
"शायद"
"पर तुम चिंता मत करो, नोट बदल जाएंगे", लड़की ने भरोसा दिलाया.
"सच...वैसे मुझे तुम्हें छोड़ना नहीं चाहिए था.", लड़के ने कहा.
"नहीं, तुम्हें कहां पता था...कि पुराने नोट बंद हो जाएंगे !" लड़की ने जवाब दिया.
"हैं???"
"हां, Bye !"  
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नए नोटों की किल्लत ने भी कम परेशान नहीं किया
(फोटो: PTI)
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मौत की चादर

बच्चा अस्पताल के ICU में था और बाप उसी अस्पताल के रिसेप्शन पर.
बाप ने ऑपरेशन के लिए जमा डेढ़ लाख के नोट मटमैली सी चादर खोलकर रिसेप्शन पर बिखरा दिए.
रिसेप्शनिस्ट ने सपाट चेहरे से कहा, "ये नोट नहीं चलेंगे. शाम तक का वक्त है. या तो पैसे जमा कराओ या बच्चे को ले जाओ."
बाप का कुछ पल पहले का पुरउम्मीद चेहरा अचानक रिसेप्शनिस्ट की तरह हो गया. सपाट. जैसे काठ.
उसने एक बार रिसेप्शन पर बिखरे नोट देखे, फिर रिसेप्शनिस्ट को देखा जो फोन पर बिजी हो गई थी.
बाप अंदर गया. बेटे को पीठ पर उठाया और अस्पताल से सड़क पर आ गया.
मौत मटमैली चादर में साथ चल रही थी.  
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नेताजी की 'समझदार' बीवी !

'पॉलिटिशियन पत्नी क्लब' में अलाने नेताजी की पत्नी की खास जगह थी.
वो फलाने नेताजी की पत्नी से कहीं ज्यादा समझदार मानी जाती थीं.
रात 8.30 बजे, फलाने नेताजी की पत्नी ने क्लब की कुछ चुनिंदा पत्नियों को फोन किया.
11 इनोवा गाड़ियां फर्राटा भर सर्राफा बाजार की ओर रवाना हो गईं.
करोड़ों की खरीदारी हुई और गाड़ियां लौट आईं. अलाने की पत्नी को किसी ने खबर ही नहीं दी.
अगले दिन से फलाने नेताजी की पत्नी क्लब की अध्यक्ष चुन ली गईं और अलाने की...बस मन मसोस कर रह गईं.  

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