रुपहले परदे पर खुद की खिल्ली उड़ाकर दूसरों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देने वाला वो शख्स असल जिंदगी में बेहद तन्हा, उदास और हताश था. उसने बिना एक भी लफ्ज कहे दुनिया को बखूबी सिखाया कि जिंदगी जिंदादिली का नाम है. अपनी मजेदार भाव-भंगिमाओं और गुदगुदाने वाली अदाकारी से उसने विश्व सिनेमा पर अपनी ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जो उस दौर, और आने वाले कई दौर के लिए कॉमेडी की मिसाल बन गया. उसका नाम सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन था, लेकिन दुनिया उसे चार्ली चैपलिन के नाम से जानती है.
उनके ऊपर कवि प्रदीप का एक शेर बिलकुल सही बैठता है-
वो जो कंठ से शीश तक दुख से भरा होता है, वही सबसे बड़ा मसखरा होता है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्व सिनेमा के इतिहास में चार्ली चैपलिन से बड़ा और महान कॉमेडियन कोई दूसरा नहीं हुआ. 16 अप्रैल 1889 को इंग्लैंड में जन्मे चार्ली ने 82 फिल्मों में काम किया. बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार चार्ली ने एक्टिंग के अलावा अपनी ज्यादातर फिल्मों की स्क्रिप्ट राइटिंग, प्रोडक्शन-डायरेक्शन और एडिटिंग खुद की. 1914 से लेकर 1967 तक पांच दशक से ज्यादा के फिल्मी करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक कॉमेडी फिल्में बनायीं.
चार्ली के विचार भी उनकी फिल्मों की तरह ही बेहद दिलचस्प हैं. एक नजर डालिये उनके कुछ चुनिंदा विचारों पर-
वीडियो देखें - हैंगओवर में काम आ सकते हैं चार्ली चैपलिन के ये अनूठे तरीके
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