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केजरीवाल जी के नाम ‘धुंआधार’ दिल्ली के नागरिक का खुला खत

आप हैं कि पाॅल्यूशन शब्द सुनते ही ऑड-ईवन के पेड़ पर चढ़ जाते हैं!

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सेवा में,

चीफ प्रॉटेस्टर ऑफ डेल्ही,

दुनिया में तेजी से मशहूर हो रही प्रदूषित दिल्ली

विषय: आम आदमी पाॅल्यूशन

माननीय केजरीवाल जी,

मफलर के दोनों कोने खींच के प्रणाम!

बड़े दिनों से आपकी खांसी की आवाज नहीं आई. आशा करता हूं कि आप और आप के बचे-खुचे साथी अपनी दुनिया में मस्त होंगे. वैसे भी जब भी दिल्ली शहर पर कोई मुसीबत आती है, आप ऑटोमैटिकली वाइब्रेटर मोड पे चले जाते हैं, कुछ कहते ही नहीं.

जैसा कि आप जानते होंगे कि दिल्ली के प्रदूषण में काफी हवा आ गयी है…माफ कीजिएगा, दिल्ली की हवा में काफी प्रदूषण हो गया है और इसके चलते बच्चे, बूढ़े, जवान, गाय-बैल, पशु-पक्षी सबके फेफड़े मतलब लंग सड़ रहे हैं.

वैसे तो आप नेताओं को मुंह छुपाना चाहिए, लेकिन असलियत ये है कि आपके शहर की 70% आबादी मुंह पर मास्क लगा के एलियन बंदरों की तरह मुंह छुपाए घूम रही है.

हम दिल्लीवाले ये भी जानते हैं कि आप लोग इतने ढीठ हैं कि अभी भी आप हमारी जिंदगियों के साथ लूडो खेलते रहेंगे, कभी ऑड-ईवन स्कीम चालू करेंगे, तो कभी स्कूल बंद कर देंगे. आपको क्या लगता है कि पॅाल्यूशन से भरा स्मॉग सिर्फ स्कूल में जाकर बच्चों को बीमार करता है? क्या वही हवा कॉलेज ,ऑफिस और घर में नहीं घुस पाती है? कहीं आपको ऐसा तो नहीं लगता कि बच्चे सिर्फ स्कूल में ही सांस लेते हैं?

दिल्ली शहर जो धुआंधार हुक्का बना है, ये कोई नई बात नहीं है. 1990 से दिल्ली का नीला आसमान रंग बदलते- बदलते अब कबूतर के रंग का हो गया है और इस कबूतरबाजी के जिम्मेदार आप और आपसे पहले आए दिल्ली के सभी सीएम रहे हैं. किसी ने पॅाल्यूशन कम करने के नाम पर बीआरटी पर कई किलोमीटर लंबे ट्रैफिक जाम लगवा दिए. तो किसी ने दिल्ली के रिज एरिया की हरियाली को खत्म कर माॅल बनवा दिए. नतीजा आज हमारी आंखों के सामने और सांसों के अंदर है.

चीफ प्रोटेस्टर साहब, आप और आपके राजनीतिक पूर्वज शुरुआत से ही दिल्ली की जनता को गुमराह करने में लगे हैं. दिल्ली में गाड़ियों की वजह से सिर्फ 7% पाॅल्यूशन होता है. बाकी 93% कोयला फूंकते पावर प्लांट, फैक्ट्री और सबसे ज्यादा कंस्ट्रक्शन से होता है.

बाकी रही-सही कसर हरियाणा और पंजाब के किसान खेत में आग लगाकर देते हैं. ये सारी बातें आपको मालूम हैं, लेकिन फिर भी आप हैं कि पाॅल्यूशन शब्द सुनते ही ऑड-ईवन के पेड़ पर चढ़ जाते हैं.

इतनी मामूली बात तो आपकी भी समझ में आ गई होगी कि दिल्ली के पाॅल्यूशन के 100 नंबर के पेपर में अगर आप हर साल सिर्फ 7 नंबर के सवाल पढ़कर जाएंगे, तो आप फेल होते रहेंगे और दिल्ली के नागरिक ऐसे ही पाॅल्यूशन से बेहाल होते रहेंगे.

आपसे गुजारिश है कि अपने पर्सनल एयर प्यूरिफायर से बाहर निकलिए और दिल्ली में पावर प्लांट, फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन के धुंए को रोकिए. हरियाली वाले इलाकों को कंक्रीट में बदलने से रोकिए, वर्ना एक दिन इस धुंए के नीचे की आग आपके पीछे लग जाएगी.

आपकी दिल्ली का धुआंधार नागरिक

P.S. क्या अपने गौर किया है कि दिल्ली में पाॅल्यूशन बढ़ते ही कितने सारे नेता विदेश यात्रा पर निकल पड़े हैं?

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