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पकौड़ा रिफॉर्म का कमाल, इंडिया ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में नंबर वन!

वादों के पकौड़े तलिये औैर अच्छे दिनों की जलेबी बनाइए, देखिये इकनॉमी कैसे छलांग लगाती है

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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में भारत की ऊंची रैंकिंग को फर्जीवाड़ा बताने वालों की इन दिनों बोलती बंद है. एक ही करारा पकौड़ा शॉट से वे चित हुए पड़े हैं. अरे ! पकौड़ा तलने के लिए कौन सा लाइसेंस और परमिट चाहिए. क्रेडिट लेने के लिए बैंक के चक्कर लगाने की क्या जरूरत है.

भई, हजार-पांच सौ लगाओ और सड़क किनारे कोई ठीया पकड़ कर शुरू कर दो पकौड़ा तलना. न फैक्टरी के लिए जमीन चाहिए और न इलेक्ट्रिसिटी और न ही पॉल्यूशन कंट्रोल मशीनरियां का झंझट. कारोबार करना इतना आसान बनाने का रिकार्ड किसी और देश की सरकार के पास हो तो बताना.

कारोबार आसान बनाने वाले देशों की लिस्ट में भारत का नाम चमकाने के लिए मैनिपुलेशन की बात उठाने वाले इंटरनेशनल रिसर्चरों को भी यहां बुला कर ये बताया जाए कि ये जो तुम हमारे बारे में अनाप-शनाप लिख रहे हो उसके बजाय हमारे ‘पकौड़ा मॉडल’ पर रिसर्च कर लो. यहीं बड़े-बड़े थिंक टैंक बनवा देंगे तुम्हारे रिसर्च के लिए. गर्मागर्म पकौड़े और कड़क चाय तुम्हारे ज्ञान चक्षु ही नहीं ज्ञान के लिए पूरा दरवाजा ही खोल देगी. कहां आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के चक्कर में पड़े हो.

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अरे, पकौड़ा बिकेगा तो तेल भी तो बिकेगा और बेसन भी. तेल के लिए तिलहन और बेसन के लिए दलहन की खेती करने वाले किसानों की क्या बल्ले-बल्ले नहीं होगी? गली-गली पकौड़ा स्टार्टअप खुल गए तो समझिये किसानों की कमाई कहां पहुंच जाएगी. 2022छोड़िये अगले खरीफ सीजन के तुरंत बाद ही किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी. है इस मास्टर स्ट्रोक का कोई जवाब आपके पास?
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दिलखुश वादों के पकौड़े और अच्छे दिनों की जलेबी

देश की एक नामी महिला नेता ने सलाह दी है. इस सलाह पर अमल हो गया तो स्किल डेवलपमेंट स्कीम की गाड़ी भी चल पड़ेगी. सलाह है कि पकौड़े तलने की पुरानी कारीगरी के रिफ्रेशर कोर्स और वर्कशॉप शुरू करवाए जाएं, फिर देखिये वादों के पकौड़े तलने और अच्छे दिनों की जलेबी छानने वालों की देश में कैसी स्किल्ड वर्क फोर्स तैयार होती है. इस स्किल्ड वर्कफोर्स को फिर पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट कीजिये. फॉरेन करेंसी भी आएगी और देश का सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगा.

वादों के पकौड़े तलिये औैर अच्छे दिनों की जलेबी बनाइए, देखिये इकनॉमी कैसे छलांग लगाती है
करारे पकौड़े और गर्मागर्म चाय के साथ रोजगार विमर्श
(फोटो : istock)
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पकौ़ड़ा स्टार्टअप्स से घर-घर खुशियों की डिलीवरी

अपने यहां तो हर छोटी-मोटी खुशी में पकौड़े मंगाने का चलन है. मन खुश हुआ तो पकौड़े खाने चल दिए. दफ्तर में दिन बन गया तो पकौड़े मंगा लिए. बारिश देख कर दिल खुश हुआ तो पकौड़े तल लिए. पकौड़ा न हुआ खुशमिजाजी का बैरोमीटर हो गया. समझिये, जब पकौड़ा स्टार्टअप से घर-घर पकौड़े मंगाए जाने लगेंगे तो अपने देश का हैप्पीनेस इंडेक्स कहां पहुंच जाएंगा. इसके आगे तो भूटान के मशहूर हैप्पीनेस इंडेक्स की चटनी पिस जाएगी. एक पकौड़े से इतने सारे काम बन सकते हैं, कभी सोचा भी न होगा.

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तो भाइयों, अब भी हमारे अच्छे दिन की रेसिपी को लेकर किसी को शक है? हम तो चाहते हैं कि देश में वन नेशन, वन पकौड़ा का सपना जल्द पूरा हो. जिस दिन यह सपना पूरा होगा पकौड़ा अर्थशास्त्र बिहेवियरल इकोनॉमिक्स की तरह दुनिया में मान्यता प्राप्त कर लेगा. तब हमारी इस थ्योरी पर अंगुली उठाने की हिम्मत किसी की नहीं होगी.

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