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‘लिपस्टिक अंडर माइ बुर्का’ पर सेंसर बोर्ड को आपत्ति है, क्यों ?

महिला केंद्रित फिल्म में सेंसर बोर्ड को कई खामियां दिखीं , हालांकि सोशल मीडिया यूजर्स इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं

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प्रकाश झा की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' को सेंसर बोर्ड ने प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है. सर्टिफिकेट नहीं देने का सेंसर बोर्ड ने जो कारण बताया है वो हैरान करने वाला है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के पत्र में लिखा है -

फिल्म की कहानी महिला केंद्रित है, जिसमें जिंदगी के बारे में उनकी कल्पनाओं को बढ़ाकर दिखाया गया है. फिल्म में सेक्सुअल सीन, अपशब्दों का इस्तेमाल और ऑडियो पॉर्नोग्राफी जैसी चीजे हैं. साथ ही समाज के एक हिस्से के बारे में संवेदनशील चीजें हैं. इस आधार पर फिल्म को प्रमाणित नहीं किया जा सकता है.
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ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या किसी फिल्म को महज इसलिए सर्टिफिकेट नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह महिलाओं पर बेस्ड है? फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव ने सेंसर बोर्ड के फैसले की आलोचना की है उन्होंने कहा 'मेरा मानना है कि हमारी फिल्म को प्रमाणित करने से इनकार करने का फैसला महिलाओं के अधिकारों पर एक हमला है'

आपको बता दें कि फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक शाह मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म में छोटे शहरों में रहने वाली 4 महिलाओं की कहानी दिखाई गई है. ये महिलाएं अपनी यौन इच्छाओं को खुलकर जाहिर करती नजर आ रही हैं. लिंग समानता पर बनी इस फिल्म को देश विदेश के फिल्म फेस्टिवल्स में कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. मुंबई फिल्म फेस्टिवल में इसे ऑक्सफैम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.

फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर भी ये बहस का मुद्दा बन गया है. ट्विटर पर यूजर्स इसे सेंसर बोर्ड का पक्षपात भरा रवैया बता रहे हैं.

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