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क्या गुरमेहर हार गई और ‘वो’ जीत गए? 

गुरमेहर के पुराने पोस्ट पर कमेंट कर सहवाग ने सही किया या गलत?

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अपने दिल की बात बयां करने वाली, खुलकर मुद्दों पर अपनी राय रखने वाली एक युवा आवाज, एक युवा सोच को ट्विटर ने आखिरकार खामोश कर ही दिया. दिल्ली पुलिस ने 22 फरवरी की ढलती शाम को रामजस कॉलेज में जो किया उससे कहीं बड़ा गुनाह तो सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े दिग्गजों ने कर दिया है.

अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली गुरमेहर फिलहाल दिल्ली छोड़कर अपने घर जालंधर जा चुकी है. शायद पूरे हंगामे के शांत होने तक वहीं रहे.

क्या गुरमेहर के साथ वही सब नहीं हुआ जो एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और दिल्ली पुलिस ने 22 फरवरी की शाम प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ किया. कमेंट ऐसे किए गए मानो कोई थप्पड़ मार रहा हो, पिता की शहादत का ऐसा मजाक उड़ा जो मानो गुरमेहर के वजूद को तार-तार कर रहा हो, अपनी बात रखने पर इतने कड़वे हमले किए गए जैसे मानो कोई भीड़ उस लड़की के बाल खींच रहा हो.

कैसे मुद्दे हुए मिक्स?

गुरमेहर रामजस विवाद में अपनी राय रखने की वजह से सोशल मीडिया पर एक तबके के निशाने पर हैं, इस तबके में नामचीन खिलाड़ी, जाने-पहचाने चेहरे भी हैं, गौर करने वाली बात ये है कि गुरमेहर का विरोध करने वालों की भीड़ में इस बार सिर्फ फर्जी अकाउंट का मास्क पहने ट्रोलबाज नहीं हैं.

इसके पीछे भी एक अनोखी वजह है- अब जरा ये पूरा मामला समझिए. दरअसल गुरमेहर ने डीयू विवाद पर एक मैसेज लिखकर अपनी भावनाएं व्यक्त की, उसपर जिन लोगों का ध्यान गया वो उसे सोशल मीडिया पर जवाब देने लगे. अबतक मुद्दा सिर्फ डीयू विवाद था, रामजस के बाहर हुआ हंगामा था.

लेकिन अचानक वीरेंद्र सहवाग इस मामले में कूद पड़े, उन्होंने रामजस विवाद का कोई जिक्र नहीं किया और सीधे पिछले साल पोस्ट किए वीडियो मैसेज का एक हिस्सा उठाकर उसपर कमेंट कर दिया.

अब वीरेंद्र सहवाग इसे मजाक बताकर यू-टर्न मार रहे हैं, लेकिन इस यू-टर्न से पहले जो तूफान उठ खड़ा हुआ है उसे कौन शांत करेगा? रणदीप हुड्डा, योगेश्वर दत्त जैसे नामचीन सितारे देशभक्ति के नाम पर सहवाग जैसी बातें ही कर रहे हैं.

लेकिन कोई ये समझने की कोशिश नहीं कर रहा है कि पिता की शहादत पर गुरमेहर का पोस्ट उनके हाल-ए- बयां था, उनका नजरिया था, जिसे दुनिया के सामने रखने का हक भारत के हर नागरिक को है.

अब रामजस विवाद में अचानक पिता की शहादत पर पोस्ट किए वीडियो को घसीटना कितना जायज है इसका जवाब तो सहवाग, योगेश्वर और हुड्डा जैसे लोगों को देना ही चाहिए.

लेकिन सावधान रहिएगा

क्योंकि गुरमेहर हार मानने वालों में से नहीं है, जिसने अपने हिस्से का दर्द पहले ही जी लिया है, वो फिर लौटेगी. जालंधर से दिल्ली आएगी लेकिन अपने ट्रोलबाजों से हिसाब लेने नहीं, एक बार फिर अपनी बात कहने, अपनी राय बताने, ये याद दिलाने कि अभी भी भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है.

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