करण जौहर की फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' की रिलीज को लेकर करण जौहर और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) के बीच विवाद में सुलह हो गई. MNS ने तीन शर्तों पर विरोध का फैसला वापस ले लिया है.
जैसे ही यह खबर आयी कि MNS ने फिल्म की रिलीज को लेकर विरोध वापस लेने का ऐलान शर्तों के आधार पर किया है, ट्विटर पर लोगों ने इसे राज ठाकरे की गुंडागर्दी कह कर जम कर भला-बुरा कहना शुरु कर दिया.
करण जौहर की फिल्म ‘एे दिल है मुश्किल’ में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के होने के कारण मनसे इस फिल्म का विरोध कर रही थी.
प्रोड्यूसर गिल्ड और करण जौहर के इस शर्त को मानने के बाद राज ठाकरे ने यह बयान दिया कि MNS ने तीन शर्तों पर विरोध का फैसला वापस लिया है.
फिल्म शुरू होने से पहले उरी और पठानकोट हमलों सहित विभिन्न आतंकी हमलों में शहीद होने वाले जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करना होगा.
लोगों ने शर्त की तुलना राहुल गांधी के विवादित बयान खून की दलाली से कर दी जो उन्होंने भारतीय सेना के संदर्भ में कही थी.
करण जौहर की फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' की रिलीज को लेकर करण जौहर और महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) के बीच विवाद कई दिन से चल रहा था. शनिवार को इस विवाद को सुलझाने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, करण जौहर, मनसे प्रमुख राज ठाकरे और प्रोड्यूसर गिल्ड के अध्यक्ष महेश भट्ट के बीच बैठक हुई.
इस बैठक में राज ठाकरे ने कहा कि अगर कोई फिल्म प्रोड्यूसर अपनी फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार को लेता है तो उसे सेना कल्याण कोष में पांच करोड़ रूपये देना होगा.
कई लोगों ने देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर भी तीखे सवाल दागे. लोगों ने ट्विटर पर कहना शुरु कर दिया कि एक मुख्यमंत्री फिल्म निर्माताओं और थिएटर को सुरक्षा नहीं दे सकता लेकिन वो किसी पार्टी की गुंडागर्दी के लिए मीटिंग कर फिल्म निर्माताओं को अपनी शर्तें मानने को कहता है.
कुछ लोगों ने 5 करोड़ के बदले और भी कई सारी चीजों पर हो रहे विरोध को खत्म करने की बात कह कर सरकार और राज ठाकरे पर निशाना साधा.
एक यूजर ने ट्वीट किया कि अगर वह गौ रक्षा फंड में 5 रुपए दान करे तो क्या उसे महाराष्ट्र में बीफ मिलेगी?
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