ADVERTISEMENTREMOVE AD

सीता कौन थी? मिथिला की योद्धा या फिर सिर्फ एक आदर्श पत्नी

सीता का चित्रण रामचरितमानस और रामायण में...

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

सीता, मिथिला की योद्धा- लेखक अमीश त्रिपाठी की अगली किताब इसी थीम पर आ रही है. सीता की ये कहानी कल्पना और पौराणिक कथाओं का मिश्रण होगी. सीता को एक योद्धा की तरह किताब में पेश किया जाएगा और इस किताब में सिर्फ सीता की कहानी बताई जाएगी.

सीता कोई कमजोर औरत नहीं जो उसे एक आदमी उठा कर ले जाए, किताब का कवर पेज इसी को दर्शाता है, सीता की किडनैपिंग के लिए तकरीबन 100 लोग आते हैं और अकेली सीता छिपती नहीं है, वो उनसे लड़ती है. चूंकि लोग ज्यादा हैं इसलिए लड़ने के बावजूद वो हार जाती है और किडनैप हो जाती है.
अमीश त्रिपाठी, लेखक

रामचरितमानस की सीता कैसी थी?

सीता का चित्रण रामचरितमानस और रामायण में...

तुलसीदास की रचना रामचरितमानस में सीता का चित्रण भी एक योद्धा की तरह ही है. वो युद्ध नहीं करती थीं लेकिन राम के फैसलों में उनका अक्स दिखता है. सीता राम की छाया मात्र न होकर समर्थ, विवेकशील और तेजस्विनी नारी की तरह रामचरितमानस में दिखी हैं. कठिन हालात में सीता ने खुद ही निर्णय लिए.

तुलसीदास की रामचरितमानस में जब राम को वनवास दिया जाता है तो सीता भी फैसला करती हैं कि वो अपने पति के साथ 14 साल के वनवास पर जाएंगी, राम बहुत समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन सीता अपने फैसले पर अटल रहती हैं और अपने तर्कों से अपनी बात को सही साबित करती हैं. सीता को राम के साथ वनवास पर जाने से खुद पिता जनक भी नहीं रोक पाते. और ठीक ऐसे ही विवेक और शौर्य का उदाहरण वो लक्ष्मण रेखा पार करने के प्रकरण में भी देती हैं.

पौराणिक कथाओं में हमेशा ही उस वक्त की सामाजिक, प्रशासनिक कुरीतियों का वर्णन होता है. रामचरितमानस में इसे बखूबी दर्शाया गया है. सीता के जन्म का प्रसंग, वनवास से लौटने के बाद अग्निपरीक्षा और फिर महल का त्याग कर बेटों के साथ एकांत में जीवन व्यतीत करने का फैसला उस वक्त की समस्याओं पर प्रकाश डालता है और साथ में सीता को एक योद्धा की तरह ही स्थापित करता है. सीता के अपहरण और रावण वध से तुलसीदास ने स्त्री की मर्यादा को और प्रतिष्ठित किया और ये संदेश दिया कि स्त्री की प्रतिष्ठा सारे समाज की प्रतिष्ठा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वाल्मीकि की रामायण में सीता कैसी थी?

सीता का चित्रण रामचरितमानस और रामायण में...

तुलसी रामायण से करीब 2000 वर्ष पूर्व वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण में सीता का वर्णन और सशक्त है. वाल्मीकि रामायण के उत्तर काण्ड में सत्रहवें सर्ग में सीता के बारे मे विवरण मिलता है, इस विवरण में बताया गया है कि सिर्फ सीता के अपहरण के कारण ही राम के हाथों रावण की मृत्यु हुई थी.

वाल्मीकि रामायण में सीता बुद्धिमान होने के साथ स्वाभिमानी, निर्भय और स्पष्ट-वक्ता की तरह हैं.

अयोध्याकाण्ड में जब राम उन्हें वन ले जाने का विरोध करते हैं तो सीता अपना पक्ष रखते हुए कहती हैं कि “जिसके कारण आपका राज्याभिषेक रोक दिया गया उसकी वशवर्ती और आज्ञापालक बनकर मैं नहीं रहूंगी.”

वाल्मीकि की रामायण में इस बात का जिक्र भी है कि सीता कई मुद्दों पर राम की सलाहकार भी थीं. उन्हें सही सलाह देने का काम भी उन्होंने किया. वाल्मीकी रामायण में सीता कई मौकों पर वनवास के दौरान राम को हिंसा से रोकती भी हैं. रावण वध के बाद अयोध्या लौटी सीता को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा और फिर उन्होंने ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली.

यकीनन सीता एक योद्धा थीं, रामायण के सारे वर्जन में इसका जिक्र पुख्ता तरीके से है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×