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गुरुग्राम स्कूल बस के हमलावरों में मुस्लिम लड़के शामिल नहीं :पुलिस

दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.

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“गुड़गांव में स्कूल बस पर पथराव में सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ पकड़े गए.”

ये खबर फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल है. लेकिन गुरुग्राम पुलिस ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि स्कूल बस के हमलावर मुस्लिम लड़के नहीं थे.

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बता दें, फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान, 24 जनवरी को एक स्कूल बस पर गुरुग्राम के सोहना रोड पर हमला किया गया था.

इस हमले का एक वीडियो वायरल हुआ. उसमें बस के अंदर डरे-सहमे बच्चे दिख रहे थे जिसपर पत्थर फेंके जा रहे थे.

इससे देश भर में आक्रोश पैदा हुआ. गुरुग्राम पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस घटना में 18 लोगों को गिरफ्तार किया.

गिरफ्तारी के बाद एक मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.

 दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.

इसे पोस्ट करने वालों में सबसे पहला नाम जिसका आता है वो शालिनी कपूर हैं, जो खुद को बीजेपी के यूथ विंग- भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेयूएम), के “कन्या शक्ति क्रांति” की “क्षेत्रीय प्रभारी” बताती है.

 दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.
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वेबसाइट Alt news के मुताबिक ऐसे और भी नामी-गिरामी प्रोफाइलों में 3 ऐसे नाम है जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विटर पर फॉलो करते हैं, (जय @Saffron_Rocks, Jitendra Pratap Singh @jpsin1 और Kunwar Ajaypratap Singh @sengarajay235) ने भी ये खबर फैलाई.

 दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.
 दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.
 दावा किया गया कि इस मामले में 5 आरोपी सद्दाम, आमिर, नदीम, फिरोज और अशरफ थे.
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इस जानकारी की पुष्टि के लिए Alt News ने संदीप खिरवार, पुलिस कमिश्नर गुरुग्राम के साथ बात की. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारी बिल्कुल गलत है और इन आरोपी के नामों में से कोई भी असली आरोपियों के नामों के साथ मेल नहीं खाता है.

ये अफवाह अभी सोशल मीडिया पर वायरल है. फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे कई सोशल साइट्स पर हर मिनट कई-कई बार शेयर किया जा रहा है. देश में किसी भी उथल-पुथल के लिए मुस्लिम नामों को डालने का ये कुछ दक्षिणपंथियों का एक पुराना हथकंडा है.

हाल के दिनों में, इसी रणनीति के तहत कुछ ऐसे खबरें तैयार की गयी थी, जब आगरा के फतेहपुर सीकरी में एक स्विस दंपति पर हमला किया गया था और जब दिल्ली में एक ई-रिक्शा चालक की हत्या हुई थी.

संवेदनशील घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर प्रसारित किसी भी दावे को आॅफिशियल न्यूज सोर्स के जरिए कंफर्म किया जाना चाहिए और वेरिफिकेशन के बिना सर्कुलेट या शेयर नहीं करना चाहिए. ये न सिर्फ कानून-प्रवर्तन एजेंसियों का काम मुश्किल बना देता है बल्कि समाज को भी बांटने का काम करता है.

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(Alt news के इनपुट के साथ)

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