ADVERTISEMENTREMOVE AD

एपल मैनेजर की हत्या से ‘ठांय-ठांय’ तक: ‘ठनठन’ दिखती है यूपी पुलिस

ये जो वीडियो देख रहे हैं यो कोई फिल्म की शूटिंग नहीं चल रही है, पुलिस बड़ी ही नजाकत से प्यार से एनकाउंटर कर रही है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

आजा लग जा गले से मेरे ठांय करके

ठांय-ठांय करके...ठांय-ठांय करके

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये जो ऊपर आप वीडियो देख रहे हैं यो कोई फिल्म की शूटिंग नहीं चल रही है, योगी सरकार की पुलिस बड़ी ही नजाकत से प्यार से जुबानी एनकाउंटर कर रही है. अब कोई शक बचा है? असली पुलिसिंग भी ठन ठन ही है. नमूने देखिए. लेकिन सबसे पहले इस ऐतिहासिक वीडियो को एक बार फिर देखिए.

दरअसल, 'मजबूरी' में कोमल दिल और सबका साथ चाहने वाली यूपी पुलिस की इंसानियत के किस्से फेसबुक के 'F' से लेकर ट्विटर की 'चिड़िया' तक पर है. ऐसे में जब संभल जिले में एक बदमाश का पता चला तो पुलिस उसे 'समझा बुझाकर' ले जाने गई. जब बदमाश भागने लगे और फायरिंग के हालात बने तो पुलिस ने ठांय-ठांय के जुबानी फायर से ही काम चला लिया.

इसे मानवीय चेहरा कहेंगे या फिर घोर अकर्मण्यता..

अब ये अगला वीडियो देखिए

यहां तक की भलमनसाहत तो आप जान ही रहें होंगे. लेकिन हम आपको थोड़ा आगे ले चलते हैं. जब 'पापी बदमाश’ठांय-ठांय की आवाज की टक्कर खाकर नहीं गिरा तो पुलिस को न चाहते हुए गोलियां चलानी पड़ी.

जरा ये वीडियो देखिए कैसे कोमल और छुईमुई दिलवाले हमारे पुलिस ऑफिसर आंख मूंदकर और सिर नीचेकर गोलियां दाग रहे हैं. इनका हृदय इतना कोमल है कि वो चलती हुई गोली तक नहीं देख सकते. दिल पसीज जाता है इनका.

लेकिन इन सबके बाद भी यूपी पुलिस के निशाने पर ऊंगली मत उठाइएगे, आज अर्जुन होते तो धनुष-बाण त्याग दिए होते. इसका उदाहरण आप लखनऊ में देख चुके हैं. ऑर्डर बदल दिया गया. जहां ठांय-ठांय की जरूरत भी नहीं थी वहां गोली ही मार दी. वही ठांय-ठांय वाली अकर्मण्यता.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये तो हुई प्यार से ठांय-ठांय और बिना जरूरी तैश में गोली चलाने की बात

अब योगी सरकार की पुलिस का एक और चेहरा दिखाते हैं....

इसका उदारण अलीगढ़ में हुए एनकाउंटर में मिलता है. हुआ यूं कि यूपी पुलिस ने ऐसा सोचा होगा कि हर बार हमसे एनकाउंटर के बाद सवाल पूछे जाते हैं, क्यों न इस बार कुछ तूफानी करते हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ स्थानीय पत्रकारों को फोन आया...कि चले आओ एनकाउंटर है, फिर क्या था लाइट कैमरा लेकर पत्रकार पहुंचे एक्शन में तो पुलिस थी ही. नतीजा ये की एकदम पारदर्शी तरीके से मुस्तकीन और नौशाद को ढेर कर दिया गया. लाशें बिछ गईं. मुस्तकीम और नौशाद पर दो साधुओं समेत कुछ लोगों को मारने का आरोप था.

खुद मृतक साधु के ही परिवार वाले इसे फेक बता रहे हैं. मुस्तकीम और नौशाद की माएं अपनी आंसूभरी आंखों से इसे फेक एनकउंटर बता रही हैं, लेकिन पुलिस वाले तो वहीं अटके हैं- 'हम तो मनमौजी हैं.'

अब पारदर्शिता के बाद एक और गुण समदर्शिता की बारी..

इस मामले में तो पुलिस का जवाब ही नहीं है. अपनी यूपी पुलिस सब अपराधियों को एक नजर से ही देखती है. इतनी ज्यादा समान नजर से कि इंडियन एक्सप्रेस को एक रिपोर्ट तक छापनी पड़ी जिसमें बताया गया कि यूपी पुलिस के 21 एनकाउंटर पर दर्ज की गई एफआईआर में समय, दूरी और दूसरी परिस्थितियां एक जैसी ही हैं. ये सुनकर यूपी बोर्ड की परीक्षा में टॉपर की कॉपी से टिपने के बावजूद फेल हो गया पिंकू सदमे में है और हम सब भी आखिर कोई तो लॉजिक होगा जिसका पुलिस वाले पालन कर रहे होंगे.

मुझे तो बस एक गाना याद आ रहा है, आप भी सुनिए.

गोलमाल है भाई सब गोलमाल है, टेढ़े रस्ते की सीधी चाल है, गोलमाल है भाई सब गोलमाल है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×