विश्वभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) हर साल 08 मार्च को मनाया जाता है. यह खास दिन पिछले लगभग एक सदी से मनाया जा रहा है. इस दिन को दुनिया भर की महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों के सम्मान के रूप में याद किया जाता है.
मगर यह दिन इतना खास क्यों बना, इसकी शुरूआत कहां से और कब से हुई. आईए जानते हैं इस आर्टिकल में.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को सामान्यत: महिला दिवस के नाम से भी जाना जाता है. महिला दिवस की शुरूआत 20वीं सदी के प्रारंभ में यूरोप तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ते महिला आंदोलनों के बाद हुई. यह आंदोलन महिला कामगारों ने किया था.
महिला दिवस का इतिहास क्या है?
महिला दिवस को मनाने का श्रेय अमेरिका और यूरोप की आंदोलनजीवी महिलाओं को जाता है. इस आंदोलन में वे महिलाओं के काम के घंटों में कमी, काम करने पर अच्छी सैलेरी और वोट डालने के अधिकार की मांग कर रही थी. यह आंदोलन लगभग 116 साल पहले 1908 में किया गया था. न्यूयॉर्क शहर में लगभग हजारों की संख्या में महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर परेड निकाली थी.
इस दिन को मनाने के लिए 8 मार्च ही क्यों?
विश्वभर में महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जाता है. इसकी खास वजह यह है कि इसी दिन अमेरिका के महिलाओं ने अपने अधिकारों के मांग की लड़ाई शुरू की थी. बाद में सोशलिस्ट पार्टी द्वारा इस दिन को महिला दिवस मनाने का ऐलान किया गया. फिर इसके बाद यूरोप की महिलाओं ने भी बाद में 8 मार्च को रैलियां निकालीं. इसके बाद साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता दे दी.
आगे चलकर 8 मार्च का दिन दुनिया भर में महिलाओं के सामूहिक संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक बन गया. यह दिन महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक योगदान के सम्मान और चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का दिन है.
हालांकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के शुरुआती दिनों से आज बहुत प्रगति हुई है, लेकिन लैंगिक समानता के लिए संघर्ष अभी भी खत्म नहीं हुआ है. अभी दुनिया भर के कई देशों में महिलाओं को कई क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है.
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