पहला खाड़ी युद्ध और भारत में सैटेलाइट टीवी की दस्तक. आम भारतीयों के लिए ये एक नया अनुभव था, लेकिन राघव बहल ने टीवी के छोटे पर्दे पर तैरते सिग्नल्स में अपना भविष्य देख लिया था. जुनून से लबरेज, सटीक बिजनेस पकड़ और अद्भुत साहस के साथ राघव ने अपनी टीम बनानी शुरू की. कड़ियां जुड़ती गईं, कई प्रोफेशनल तो कई नए टैलेंट इस सक्सेस स्टोरी का हिस्सा बनते गए. मकसद सिर्फ एक था भारत के सबसे सक्सेसफुल स्टार्ट-अप की लिस्ट में पहले पायदान पर रहना.
नई दिल्ली के सफदरजंग इन्कलेव से टीवी 18- नेटवर्क 18 बन गया, भारत का सबसे बड़ा मीडिया ग्रुप जिसमें टीवी, प्रिंट, फिल्म्स, इंटरनेट, बिजनेस, जनरल न्यूज, ड्रामा और मनोरंजन का हर रंग भरा था.
जोश , रोमांच और लगातार संकट से जूझते हुए नेटवर्क 18 सिर्फ दो दशक में मीडिया साम्राज्य बनकर उभरा. नेटवर्क 18 के बैनर तले सबकुछ था, टीवी और फिल्म के साथ CNBC, CNN और Viacom जैसे ब्लू ब्रैंड. लेकिन गुरूर, कम वक्त में शानदार सफलता और कुछ बाहरी फैक्टर्स ने इसे बेफिक्र कर दिया.
ये किस्सा है बेहतरीन आइडिया का, कई करारे झटकों का, आक्रामकता का, अद्भुत जीत का और कई खतरनाक खामियों का. ये कहानी है एक ऐसे मीडिया साम्राज्य की जो सिर्फ मेड इन इंडिया ही हो सकती थी.
लेखिका के बारे में:
इंदिना कन्नन तकरीबन 2 दशक से प्रिंट और टेलिविजन जर्नलिस्ट हैं. इंडिया टुडे से अपना करियर शुरू करने के बाद उन्होंने 1995 में टीवी18 (बाद में Network18) ज्वाइन किया. अपने करियर में वो रिपोर्टर से प्रोड्यूसर और फिर प्रेजेंटर भी बनीं और इस दौरान बीबीसी वर्ल्ड, स्टार प्लस, सीएनबीसी टीवी-18 और सीएनएन-आईबीएन तक का सफर तय किया.
फिलहाल इंदिरा एक फ्री-लांस लेखिका हैं और द क्विंट समेत कई और पब्लिकेशन ग्रुप के लिए लिखती हैं. चेन्नई उनका होम-टाउन है और फिलहाल वो टोरंटो में अपने पति अनिरुद्ध भट्टाचार्या के साथ रहती हैं जो पेशे से पत्रकार हैं.
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