ADVERTISEMENTREMOVE AD

नरगिस और सुनील दत्त: दिलजलों के जहां में प्यार की कहानी....

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

कुछ साल पहले ‘मिस्टर और मिसेज दत्त’ को पढ़ते हुए मुझे अहसास हुआ कि सुनील दत्त और नरगिस दत्त में उससे कहीं ज्यादा चीजें कॉमन थीं, जिनके बारे में हम जानते हैं. इस किताब को उनके बेटे संजय दत्त और बेटियों नम्रता और प्रिया दत्त ने संग्रहित किया था. नरगिस की पुण्यतिथि पर हम उनके इश्क और जिंदगी पर करीबी नजर डाल रहे हैं.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी
मिस्टर एंड मिसेज दत्त बुक का कवर पेज

बुक में खूबसूरत ब्लैक एंड वाइट पिक्चर के नीचे लिखा है, ‘यह साहस और करुणा की कहानी है.’ इस किताब को पढ़ने के बाद मैं इसमें एक और लाइन जोड़ना चाहूंगी, ‘यह दिल तोड़ने वाली दास्तां भी है.’

मुझे नहीं पता कि दूसरे लोग किस तरह से बायोग्राफी पढ़ते हैं, मैं तो पहले फोटोग्राफ देखती हूं. मेरा मानना है कि तस्वीरें एक मूड तय करती हैं और उनके कैप्शन आपको कहानी के मुख्य किरदारों के लिए तैयार करते हैं. मैं जर्नलिस्ट हूं और कई दशकों से सिनेमा पर लिखती आई हूं. इसलिए मैं सुनील और नरगिस दत्त के करियर से वाकिफ रही हूं. नरगिस जब 14 साल की थीं, तब जाने-माने फिल्म निर्माता महबूब खान ने उनकी मां जद्दनबाई को उन्हें अपनी फिल्म तकदीर (1943) में लॉन्च करने के लिए मनाया था.

लेकिन सुनील दत्त को एक्टर बनने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने रेडियो जॉकी के तौर पर रेडियो सिलोन पर फिल्मी सितारों के इंटरव्यू से करियर की शुरुआत की थी. उन्हें प्रोड्यूसर रमेश सहगल ने डिस्कवर किया और 1955 में ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ फिल्म में ब्रेक दिया.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी
सुनील दत्त को एक्टर बनने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा
फोटो:Twitter 

कई किस्से हैं कि शर्मीले सुनील दत्त किस तरह के नए हीरो थे और कैसे उस समय का हर लीड हीरो नरगिस से प्यार कर बैठा था. लेकिन अपने परिवार में ‘बेबी’ कही जाने वालीं नरगिस इन सबसे अनजान थीं. यूं तो फिल्मी दुनिया के कई कार्यक्रमों में सुनील और नरगिस साथ-साथ शामिल हुए, लेकिन औपचारिक तौर पर दोनों का एक दूसरे से परिचय उनकी फिल्म ‘मदर इंडिया’ के सेट पर फिल्म निर्माता महबूब खान ने कराया था.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी
महबूब खान के साथ राजकुमार, राजेंद्र कुमार, नरगिस और सुनील दत्त. 
(फोटो: Twitter)

दोनों की नाटकीय प्रेम कहानी के बारे में सब लोग जानते हैं, जो ‘मदर इंडिया’ के सेट पर 1957 में आग लगने की घटना से शुरू हुई थी. सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किए बिना आग में कूदकर नरगिस की जान बचाई थी और उनका दिल जीता था. इसमें वह घायल हो गए थे. इसके बाद नरगिस शूटिंग के बाद रोज उनसे मिलने अस्पताल जाती थीं. कुछ हफ्तों बाद सुनील ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा और वह तुरंत मान गईं. यह शादी विवादों से घिरी थी. यह पहली हाई प्रोफाइल शादी थी, जिसमें एक हिंदू किसी मुस्लिम से शादी करने जा रहा था, लेकिन समय के साथ सब ठीक हो गया.

शादी के बाद सुनील पहले की तरह फिल्मों में काम करते रहे, लेकिन नरगिस ने बच्चों को जन्म देने के लिए फिल्मों से ब्रेक लिया. 1970 के दशक के अंत में जब सुनील और नरगिस ने बेटे संजय दत्त को ‘रॉकी’ फिल्म से लॉन्च किया तो उसके मुहूर्त के लिए मुंबई के महबूब स्टूडियो में दोनों को बधाई देने फिल्मी दुनिया के जाने-माने नाम पहुंचे थे.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी

दत्त परिवार की जिंदगी किसी परीकथा की तरह चलती रही, लेकिन 1979 में दिल्ली में राज्यसभा के सत्र में शामिल होने आईं नरगिस अचानक बीमार पड़ गईं. पहले पीलिया का शक हुआ और उसी रात मुंबई लौटने के बाद उन्हें ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. अगले दिन इलाज के लिए उन्हें न्यूयॉर्क ले जाया गया. जहां अगली सुबह वह स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर में भर्ती हुईं.

उस वक्त तक यही लग रहा था कि वह जल्द ही घर लौट आएंगी. हालांकि, एक साल बाद कई सर्जरी करवाकर वह भारत लौटीं. 1981 में नरगिस का देहांत हो गया और सुनील दत्त टूट गए.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी

अपने काम की वजह से मेरा परिचय संजय दत्त और उनकी बहनों नम्रता और प्रिया दत्त से हुआ. 1991 में मैंने सुनील दत्त का एक इंटरव्यू किया. इसमें उन्होंने अपनी जिंदगी को ‘हाउस ऑफ हार्टब्रेक्स’ बताया. उन्होंने यह इंटरव्यू अपने सभी दोस्तों को दिखाया और कहा कि अब वह ‘आत्मकथा’ लिखना चाहते हैं. उन्होंने यह काम नहीं किया, लेकिन व्यवस्थित तरीके से अपनी यादों के दस्तावेज अपने घर के एक खास दराज में जमा करते रहे. उनके देहांत के बाद पिता के जमा किए गए फोटोग्राफ, पर्सनल लेटर और अपने रोल और किरदारों पर नोट्स को देखकर उनकी बेटियों ने इसे किताब के रूप में पब्लिश करने की योजना बनाई. यही किताब ‘मिस्टर एंड मिसेज दत्त: मेमरीज ऑफ ऑवर पेरेंट्स’ नाम से आई. इसमें बच्चों ने दोनों के बीच एक जैसी और अलग-अलग बातों का जिक्र किया है.

यह भी पढ़ें: सुनील दत्त साहब ‘संजू’ फिल्म के असली हीरो

इस किताब से पता चलता है कि नरगिस की उम्र सुनील दत्त से सिर्फ कुछ हफ्ते अधिक थी ना कि कई साल, जैसा मीडिया बताता रहा था. दोनों का जन्म 1929 में हुआ था. नरगिस की पैदाइश कलकत्ता की थी. उनकी मां जद्दनबाई मुस्लिम थीं और पिता उत्तमचंद मोहनचंद ब्राह्मण थे. सुनील दत्त का जन्म झेलम के खुर्द में हुआ था और उनका नाम बलराज दत्त था. उनके पिता दीवान रघुनाथ जमींदार थे और मां का नाम कुलवंत देवी था. सुनील दत्त भी ब्राह्मण परिवार से थे. उनका बचपन पिता की मौत के बाद मुश्किलों से घिर गया था. उनकी विधवा मां को तीन बच्चों की परवरिश में कई परेशानियां उठानी पड़ीं. नरगिस का बचपन अच्छा गुजरा था और उन्हें आसानी से सफलता भी मिल गई थी.

नरगिस की असमय मौत किताब का सबसे दर्दनाक चैप्टर है.

बेटियों ने बताया है कि किस तरह से उनके जाने के बाद दत्त परिवार बिखर गया था. दोनों ने तब पिता को टूटते हुए देखा. वह डिप्रेशन का शिकार हो गए थे. संजय दत्त को ड्रग्स की लत लग गई थी. छोटी बेटी प्रिया को बोर्ड एग्जाम देना था और साथ ही भाई संजय की री-हैबिलिटेशन सेंटर में देखभाल भी करनी थी.

धीरे-धीरे सुनील और नरगिस के बच्चे सामान्य हुए और खुशियों ने उनके घर पर दस्तक दी. नम्रता की शादी एक्टर कुमार गौरव से हुई. सुनील दत्त ने प्रतिबद्ध सांसद के तौर पर पहचान बनाई. प्रिया ने पिता की राह चुनी और उन्हें भी जीवनसाथी मिला. सबसे बड़ी बात यह है कि संजय दत्त की जिंदगी भी पटरी पर आ गई और विवादों के बावजूद उनका करियर रफ्तार पकड़ने लगा.

यह भी पढ़ें: वो रिपोर्टर जिसने संजय दत्त के अंडरवर्ल्ड रिश्तों का खुलासा किया

सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन...

25 मई 2005 की सुबह सुनील दत्त नॉर्मल टाइम पर बिस्तर से नहीं उठे. उनके स्टाफ ने बच्चों को इस बारे में बताया और वे तुरंत पिता के पास पहुंचे. सुनील दत्त को बुखार था. प्रिया और उनके पति ओवेन ने सुनील दत्त के साथ डिनर किया. उसके बाद सुनील दत्त सोने चले गए. दत्त ने उन्हें बताया कि वह थके हुए हैं क्योंकि उन्होंने पूरा दिन सामान पैक करने में लगाया था. वह अगले हफ्ते नए घर इंपीरियल हाइट्स में शिफ्ट होने जा रहे थे.

लेकिन ये हो ना सका.

नरगिस और सुनील दत्त का प्रेम कहानी, भावना सौमैया की जुबानी
हरिद्वार- ऋषिकेश में परमार्थ आश्रम में अस्थियां विसर्जित करते संजय दत्त. (फाइल फोटो: पीटीआई)

अंतिम यात्रा में सुनील दत्त का शव तिरंगे में लिपटा था और उसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दोनों शामिल हुए. जब बच्चों ने पिता की अस्थियां ऋषिकेश में गंगा जी में बहा दीं, तब शायद उन्हें पिता के नहीं रहने का अहसास हुआ. बहुत कम उम्र में बच्चों ने मां नरगिस को गंवाया था और उनके बिना रहने की आदत डाल ली थी. उसके बाद से सुनील दत्त उनके माता और पिता दोनों थे. अब वह भी साथ छोड़ चुके थे.

आने वाले वर्षों में दत्त परिवार को कुछ और मुश्किलों का सामना करना पड़ा. संजय दत्त के हिस्से में अपने हिस्से का दुर्भाग्य आया तो प्रिया दत्त ने पॉलिटिकल करियर के उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन जिंदगी कहां रुकती है. दत्त परिवार ने फिर से सपने देखना शुरू कर दिया. आज पूरी फैमिली एक छत के नीचे रहती है और पेरेंट्स को हमेशा मिलकर याद करती है.

यह भी पढ़ें: नरगिस | रुपहले पर्दे की वो अदाकारा जिसने हर किरदार में जान फूंक दी

( यह आर्टिकल 25 मई 2017 को पहली बार पब्लिश किया गया था.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×