अलजबीन खान, शोमाएल अरकम
वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
26 सितंबर को मुंगेर का MWE हाई स्कूल कैंपस (MWE High School Campus) की माइनॉरिटी हॉस्टल बिलिडिंग ढह गई (Minority Hostel Building Collapsed) जिससे बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन पर कई सवाल खड़े हो गए हैं.
हॉस्टल गार्ड चंदन चौधरी बताते हैं कि बिल्डिंग 4 बजे शाम को गिरी है, उस वक्त हल्की बारिश हो रही थी, हम पास ही में बैठे थे फिर एक दम से आवाज आई, जाकर देखा तो बिल्डिंग का एक हिस्सा ढह गया है.
2004 में बिहार सरकार माइनॉरिटी वेलफेर ने हॉस्टल बनाया था. स्कूल स्टाफ का कहना है कि बिल्डिंग की हालत 2015 से खराब है. जो हिस्सा गिरा है वो मेस का हिस्सा था और मीटिंग हॉल का हिस्सा था. इस हॉस्टल की हालत काफी पहले से खराब थी.
अब अगर आप गिरे हुए मेस के हिस्से को देखेंगे तो आपको नजर आएगा कि इसमें खराब क्वालिटी का सामान का इस्तेमाल हुआ है. इसमें 12:1 का सामान इस्तेमाल किया गया है, यानी 12 तगारी रेट और बाकी सामान और 1 तगारी सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है.
गनीमत की बात है कि जब हॉस्टल का ये हिस्सा गिरा तब हॉस्टल में कोई बच्चा मौजूद नहीं था, लॉकडाउन की वजह से सभी बच्चों को फरवरी में ही घर भेज दिया गया और हॉस्टल खाली करा लिया गया और जो हिस्सा गिर है वहां बच्चे नहीं रहते थे, जैसा कि पहले बताया गया ये हिस्सा मेस का और मीटिंग रूम का था.
नाम छुपाने की शर्त पर हमें बताया गया कि बहुत पहले से इस हॉस्टल की हालत की जानकारी दे दी गई, शिकायतें भी की गई कि इस हॉस्टल को जल्द मरम्मत की जरूरत है लेकिन कुछ नहीं हुआ.
सिटिजन जर्नलिस्ट शोमाएल अरकम ने बताया कि हॉस्टल का जो हिस्सा गिरा है उस हॉस्टल में हाई स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं, ये इमारत उनके लिए काफी खतरनाक तो है ही लेकिन इस बिल्डिंग के आस-पास भी जो लोग रहते हैं उनके लिए भी ये बिल्डिंग खतरा है.
जिला माइनॉरिटी वेफेयर अधिकारी ने द क्विंट से बात की
हमने अगस्त में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के जिला अधिकारी को चिट्ठी लिखी थी जिसमे हमने बिल्डिंग की ख़राब हालत का जिक्र किया था, साथ ही हमने हाल ही हादसे के बारे में बताया और उनके मुताबिक बिल्डिंग रेनोवेशन के बाद ही फिर यूज की जा सकती है.स्निग्धा स्नेहा, जिला माइनॉरिटी वेफेयर अधिकारी, मुंगेर
(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)