मेरा नाम विराली मोदी है. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट टर्मिनल -3 पर एक महिला CISF स्टाफ ने मेरे साथ बुरा बर्ताव किया. मैं स्पाइस जेट की एक फ्लाइट से नई दिल्ली से मुंबई जा रही थी. मैं व्हीलचेयर पर बैठी थी. मैं दिव्यांग हूं, चल नहीं सकती, खड़ी नहीं हो सकती. जब मैं सिक्योरिटी चेक के लिए गई तो एक महिला CISF स्टाफ मेरे पास आई और बोली कि मुझे सिक्योरिटी चेक के लिए खड़ा होना पडे़गा. मैंने कहा कि मैं खड़ी नहीं हो सकती. उसने कहा “नहीं, होना पड़ेगा, आपको खड़े रहना ही पड़ेगा" मैंने कहा "मैं खड़ी नहीं हो सकती".
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वो पीछे चली गई और कॉरिडोर में अपने साथी सीआईएसएफ कर्मियों को बताने लगी कि मैं ड्रामा कर रही हूं. विरोध करने पर वो अपनी बातों से मुकर गई. आखिर में एक सीनियर स्टाफ आई, उसने जांच की, और तब मैं जा पाई.
ऐसा मेरे साथ ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इस तरह की घटना मेरे साथ दूसरी बार हुई है, और ये गलत है. ऐसे हालात और इस उम्र में ऐसा नहीं होना चाहिए. CISF को ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है. उन्हें दिव्यांग लोगों के साथ हमदर्दी रखने की जरूरत है. ये सही नहीं है. ऐसा नहीं होता है. ऐसे हालात और इस उम्र में तो नहीं.
वहीं दूसरी ओर दिल्ली के सीआईएसएफ प्रमुख ने इस घटना पर खेद जताते हुए विराली से माफी मांगी है.
(विराली मोदी दिव्यांगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट हैं. सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्विंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)
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