वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
NEET 2020 के एग्जाम सेंटर्स में प्रवेश के लिए अलग-अलग एंट्री की व्यवस्था थी लेकिन निकलने के लिए नहीं और इससे सोशल डिस्टेंसिंग धरी की धरी रह गयी. सोशल मीडिया और सुप्रीम कोर्ट तक में बहस का मुद्दा बनने के बाद छात्रों के पास NEET 2020 की परीक्षा रविवार 13 सितंबर को देनी ही पड़ी.
पूरे देश में लगभग 90 हजार कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. लोगों के बीच कोरोना संक्रमण और उसका भय पहले से काफी ज्यादा बढ़ गया है. अपने अपने परीक्षा सेंटर की व्यवस्थाओं से अनजान हम पटना और कटक में परीक्षा देने के लिए सभी जरूरी तैयारियों और एक सकारात्मक मन से निकले.
हमारे सेंटर्स में कुछ गाइडलाइन्स तो मानी जा रही थीं, लेकिन कुछ तो सिरे से खारिज कर दी गयीं थीं. जैसे कि, सेंटर में अंदर जाने के लिए तो व्यवस्था सही थी, अलग अलग गेट्स बनाए गए थे. लेकिन बाहर आने के लिए ऐसा कुछ नहीं था. बाहर निकलते हुए लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा.
पथरीले पहाड़ों से पटना तक
मेरा सेंटर मेरे गृह जिले बेगुसराय से 150 किमी दूर था. उसमें भी पटना के बाहरी इलाके में था. सरकार ने जो ट्रेन की सुविधा दी उसपे ज्यादा भरोसा नहीं था, इसलिए मैं अपनी कार से ही पटना के लिए निकली. ऐसा लग रहा था जैसे सभी ने सार्वजनिक यातायात छोड़ अपने साधन से जाना चुना था. क्योंकि सड़कों में लंबे जाम लगे थे. हम बिल्कुल तय समय में पहुंचे.
सेंटर तक पहुंचने वाली सड़क की हालत बहुत खराब थी. सभी ने अपनी कार और बाइकें सेंटर के 700,800 मीटर दूर खड़ी की थी. क्योंकि सड़क बहुत संकरी थी. गेट पर भी भीड़ बहुत थी.
सेंटर के अंदर सभी को मेटल डिटेक्टर से चेक किया गया. लेकिन कहीं भी 6 फीट या ‘दो गज’ की दूरी नहीं थी.
ऐसे ही जहां गाइडलाइन्स में लिखा था कि एक कमरे में सिर्फ 12 लोग होंगे, मेरे कमरे में 24 थे. छात्रों के बीच एक हाथ की दूरी थी. लेकिन ग्लव्स नहीं दिए गए थे. हां, तीन परतों वाला मास्क जरूर दिया गया था.
कटक सेंटर में बाहर निकलने में भीड़
मैं प्रज्ञा प्रियदर्शनी अपने घर से NEET की परीक्षा के लिए सुबह 11.30 बजे के आस पास निकली थी. मुझे मेरे भाई ने बाइक से सेंटर तक छोड़ा क्योंकि सेंटर मेरे घर से बस 10 किमी की दूरी पर था.
एंट्री के दौरान तो हमें हमारे रोल नंबर के आधार पर ही एक एक करके बहुत सावधानी के साथ अंदर बुलाया गया कोई भीड़ भाड़ या धक्का मुक्की जैसे हालात नहीं बने. 500 लोगों के बीच भी ऐसी व्यवस्था थी. सेंटर के अंदर हमें एक सैनिटाइज़र वाले टनल से ले जाया गया. लेकिन हमारा तापमान नहीं नापा गया.
एक बार जब परीक्षा खत्म हो गई, तब बाहर निकलने वाले गेटों में भीड़ बहुत ज्यादा हो गयी थी. सोशल डिस्टेंसिंग कहीं भी दिखायी नहीं दे रही थी. सेंटर और मेन रोड के बीच जो 1 किमी की दूरी थी, वो सबसे ज्यादा भरी हुई थी.
सड़को पर भी कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए गोले नहीं बनाए गए थे. ना ही पुलिस या कोई और अथॉरिटी वहां लोगों को नियंत्रित रखने के लिए थी. छात्र ऐसे घूम रहे थे जैसे कोई मेला चल रहा हो. महामारी के डर का तो नामोनिशान ही नहीं था. मेरे लिए इस परीक्षा का अनुभव अब तक का सबसे बुरा अनुभव है.
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