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मजहबों पर लड़ रहा, क्या यही है आजाद और भगत का हिंदुस्तान- नितिन 

इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.

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सरकारें आती है जाती हैं

ठगा जाता है किसान

उधर आतंकी आते रहते हैं

शहीद होता है जवान

और नोच-नोच कर जिस्मों को जला देते हैं

बढ़ते जा रहे हैं हैवान

हैवान दरिंदे शब्द भी बोने हो गए हैं

इतना नीचे गिर चुका है इंसान

मुल्क परस्त घटते जा रहे हैं

क्योंकि बढ़ने लगे हैं हिंदू और मुसलमान

कपड़ों से लोग मजहब पहचान लेते हैं

पर कैसे पहचानेंगे तिरंगे में लिपटा हुआ जवान

कुछ कहे तो लाठियां चलती हैं

पर चुप रहूं कैसे कटी थोड़ा है जवान

और कोई मुझे बताएगा क्या यही है

आजाद और भगत का हिंदुस्तान....??

नितिन, दिल्ली

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इस गणतंत्र दिवस, क्विंट हिंदी अपना कैंपेन 'लेटर टू इंडिया' वापस लेकर आया है. इस गणतंत्र दिवस, 'हिंदुस्तान' के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.

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