ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजस्थानः बिहार से नाबालिगों की तस्करी करके लाते थे, अब हुई 14 साल की सजा

नाबालिगों की तस्करी के आरोप में 2 आरोपियों को 14 साल कैद की सजा

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD
जयपुर, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। यहां की एक विशेष अदालत ने नाबालिगों की तस्करी के आरोप में दो आरोपियों को 14 साल कठोर कारावास और 5.64 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

16 अक्टूबर, 2018 को, बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) के कार्यकर्ताओं ने पुलिस और मानव तस्करी विरोधी इकाई (एएचटीयू) के साथ राजस्थान की राजधानी जयपुर में शास्त्री नगर, पेंटर कॉलोनी, सुदामापुरी में एक घर पर छापा मारा। बीबीए कार्यकर्ताओं को सूचना मिली थी कि इमारत में चूड़ी बनाने के लिए कई बच्चों को बाल मजदूर के रूप में काम पर रखा गया है। कुल 33 नाबालिग बच्चों - पहली मंजिल से 17 और भूतल से 16 को छुड़ाया गया था।

छुड़ाए गए बच्चों को बिहार से तस्करी कर लाया गया था और सुबह 8 बजे से थोड़े भोजन और पानी के साथ काम करने के लिए मजबूर किया गया था। सुबह से 12 बजे रात तक काम करवाने के बावजूद उन्हें कोई मजदूरी नहीं दी जाती थी। उन्हें बिल्डिंग से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था। बच्चों ने इसका विरोध किया तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। बच्चों ने यह भी कहा कि उन्हें शैक्षिक सुविधाएं देने के बहाने उनकी तस्करी की गई थी।

बाद में बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें बाल देखभाल संस्थान में रखने का निर्देश दिया।

इस बीच, पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के साथ धारा 370 (5) (एक से अधिक नाबालिगों की तस्करी), 374 (गैरकानूनी अनिवार्य श्रम) और 344 (गलत कारावास) के तहत चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। आरोपियों में मोहम्मद कुदुस, मोहम्मद यूनुस, हसमुल मियां और मोहम्मद शमशाद शामिल थे।

जब फैसला सुनाया गया तो विशेष न्यायाधीश तारा अग्रवाल ने मोहम्मद कुदुस और मोहम्मद यूनुस को 14 साल के सश्रम कारावास के साथ-साथ 5.64 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। मोहम्मद शमशाद की मौत हो चुकी है, इसलिए उसके खिलाफ आरोप खत्म दिए गए और हसमुल मियां को बरी कर दिया गया।

न्यायाधीश ने कहा कि दोनों आरोपियों ने बच्चों के अधिकारों का हनन किया और उन्हें बाल श्रम के लिए मजबूर किया। बच्चों के प्रति शारीरिक और मानसिक क्रूरता, उन्हें बाल श्रम के लिए मजबूर करना एक जघन्य अपराध है और अभियुक्तों के प्रति दिखाई गई कोई भी नरमी समाज में इस तरह के अपराधों में तेजी ला सकती है।

फैसला 16 अप्रैल को सुनाया गया, जबकि इसकी प्रति मंगलवार को मिली।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×