गोरखपुर उपचुनाव के दौरान मीडिया तो वोट काउंटिंग वाली जगह जाने पर रोकने वाले डीएम राजीव रौतेला का ट्रांसफर कर दिया गया है. शुक्रवार देर रात उन्हें देवीपाटन का कमिश्नर बनाया गया है. वहीं कासगंज तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा पर टिप्पणी करने वाले बरेली डीएम राघवेंद्र विक्रम को हटा दिया गया है.
देर रात 37 IAS के ट्रांसफर
यूपी में गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव हारने के योगी सरकार ने शुक्रवार को देर रात ताबड़तोड़ 37 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया है. जिनमें 17 डीएम और पांच कमिश्नर शामिल हैं.
बुधवार को उपचुनाव में हार के बाद गुरुवार को सीएम योगी ने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए.पूरे दो दिन हार के कारणों पर चर्चा हुई. इस दौरान योगी अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई. और सख्त संदेश देने के लिये 37 अधिकारियों की लम्बी लिस्ट निकाली.
क्या है DM गोरखपुर के ट्रांसफर की असली वजह?
लेकिन डीएम गोरखपुर का ट्रांसफ़र और तुरंत बाद कमिश्नर के रूप में पोस्टिंग तो कुछ और ही संदेश देता है. क्या योगी सरकार ने डीएम रौतेला को इसलिए हटा दिया क्योंकि उन्होंने रिजल्ट मीडिया तक पहुंचने में देर कराई थी, जिस पर विधानसभा में हंगामा भी हुआ था? या गोरखपुर सीट हारने के कारण हटाया गया. दोनों ही कारण कमजोर लगते है. क्योंकि अगर उन्हें सजा दी गई है तो देवीपाटन कमिश्नर की पोस्टिंग क्यों दी गई.
IAS अधिकारी के लिए जिले की कप्तानी किसी भी पोस्ट से ज़्यादा महत्व रखती है. इसलिए रौतेला ने काफी समय तक प्रमोशन दबा कर रखा था. लेकिन बिना इंतजार डीएम के बाद कमिश्नर बनना भी किसी ईनाम से काम नहीं है.
राजीव रौतेला के गोरखपुर से हटने के साथ ये चर्चा शुरू हो गई है कि योगी ने गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज ऑक्सीजन कांड की तरह एक बार फिर डीएम गोरखपुर पर दरियादिली दिखाई है.
BRD कांड में भी रौतेला पर उठे थे सवाल
गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में मासूमों की मौत के बाद डीएम के रवैये पर सवाल उठे थे. डीएम पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के बकाया पैसे दिलाने की बात शासन को न बताने और शासन को गुमराह करने के आरोप भी लगे थे. ये भी कहा गया था कि डीएम को ये मालूम नहीं था कि BRD में क्या हो रहा था.
खनन मामले में HC के आदेश के बावजूद रौतेला पर योगी मेहरबान
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खनन के दो वर्ष पुराने मामले में सख्त रुख अपनाया और रामपुर में तैनात रहे दो जिलाधिकारियों को निलंबित करते हुए अनुशासनिक कार्रवाई करने का आदेश दिया था लेकिन अभी तक सरकार की मेहरबानी के कारण वो गोरखपुर में बने हुए हैं.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता ने सात दिसंबर को दिये फैसले में राजीव रौतेला और राकेश कुमार के निलंबन के आदेश प्रदेश के मुख्य सचिव को दिए थे. मामले की पूरी जांच कराकर दोषी पाए जाने पर अन्य अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा गया था.
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