गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की एनआईए कानून का दुरूपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिये ही उपयोग किया जायेगा । राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर लोकसभा में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए अमित शाह ने कहा कि कुछ लोगों ने धर्म का जिक्र किया और एनआईए कानून का दुरूपयोग किये जाने के विषय को भी उठाया । ‘‘ हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि मोदी सरकार की एनआईए कानून का दुरूपयोग करने की न तो कोई इच्छा है और न ही कोई मंशा है और इस कानून का शुद्ध रूप से आतंकवाद को खत्म करने के लिय उपयोग किया जायेगा । ’’ कुछ सदस्यों द्वारा ‘पोटा’ (आतंकवादी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) का जिक्र किये जाने के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ पोटा कानून को वोटबैंक बचाने के लिए भंग किया गया था। पोटा की मदद से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था, इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी। इस कानून को पूर्ववर्ती संप्रग की सरकार ने 2004 में आते ही भंग कर दिया । ’’ उन्होंने कहा कि पोटा को भंग करना उचित नहीं था, यह हमारा आज भी मानना है । पूर्व के सुरक्षा बलों के अधिकारियों का भी यही मानना रहा है । शाह ने कहा कि पोटा को भंग किये जाने के बाद आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और संप्रग सरकार को ही एनआईए को लाने का फैसला करना पड़ा । उन्होंने इस संदर्भ में मुम्बई में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट और 26:11 आतंकी हमले का भी उदाहरण दिया । गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, तो इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है। मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि यह कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा । ’’ उन्होंने कहा कि यह कानून देश की इस एजेंसी को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ताकत देगा । यह समझना होगा कि श्रीलंका में हमला हुआ, हमारे लोग मारे गए, बांग्लादेश में हमारे लोग मारे गए । लेकिन देश से बाहर जांच करने का अधिकार एजेंसी को नहीं है । ऐसे में यह संशोधन एजेंसी को ऐसा अधिकार प्रदान करेगा । इस विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिये है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं। अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है । इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है । इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करें ।
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