आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के उरावकोंडा से एक वीडियो सामने आया है. अगर आपके अंदर थोड़ी भी मानवीय संवेदना होगी तो आप इसे देखकर सहम जाएंगे. काजू की बगानों के लिए संघर्ष करती इन महिलाओं ने कहा कि मौत के अलावा हम लोगों के पास कोई चारा नहीं है. उन्होंने काजू के पेड़ों से फांसी का फंदा लगाकर अपना विरोध जताया.
कामगार आदिवासी महिलाओं का आरोप है कि माइनिंग कंपनी के लोग, राजस्व अधिकारियों की मदद से उनके काजू के बागानों को नष्ट कर रहे हैं. इस मुद्दे को ये आदिवासी पिछले कई सालों से उठा रहे हैं.
आदिवासी महिलाओं का कहना है कि अगर उनके काजू बागानों को नष्ट किया गया तो उनके पास जीवन खत्म करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा. उन्होंने इस मुद्दे पर अनाकापल्ली संयुक्त कलेक्टर से जांच की मांग की है. आदिवासियों ने 11 अप्रैल को अनाकापल्ली कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. गिरिजन संघम जिले के महासचिव ई. नरसिम्हा मूर्ति और कृषि श्रमिक संघ के के भवानी ने विरोध का नेतृत्व किया.
'काजू बगानों से चलती है आजीविका'
उनका कहना है कि वे अपनी आजीविका के लिए काजू के बागानों पर निर्भर हैं. इसके लिए उन्हें बहुत पहले बागानों के 'डी' पट्टा जारी किए गए थे. हालांकि माइनिंग कंपनी के लोगों और राजस्व अधिकारियों ने आदिवासियों को बागानों के बदले पैसे देने की बात कही थी, लेकिन इन्होंने इस दावे को खारिज किया है.
इस मामले में सरकारी अधिकारियों की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है.
आदिवासी महिलाओं का निष्पक्ष जांच की मांग
आदिवासी महिलाओं ने एक सरकारी अधिकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुदुगुला मंडल राजस्व अधिकारी ग्रेनाइट खदान मालिकों का पक्ष ले रहे हैं और हमारे खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर रहे हैं. उनका कहना है कि हम लोग अपने बगीचे के बीच से होकर गुजरने वाली ग्रेनाइट खदानों के लिए बनने वाली सड़क का विरोध कर रहे हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि संयुक्त कलेक्टर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करें और खुद देखें कि हमारी क्या स्थिति है.
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