नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)| मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को सरकार से सर्वाच्च न्यायालय के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कमजोर करने के 'प्रतिगामी निर्णय' के विरुद्ध तत्काल समीक्षा याचिका दाखिल करने का आग्रह किया है।
माकपा ने अपने बयान में कहा, न्यायमूर्ति यू.यू ललित और आदर्श गोयल द्वारा दिया गया आदेश दलितों पर रोजाना आधार पर हो रहे जाति उत्पीड़न, शोषण और अत्याचार की सामाजिक सच्चाई को दरकिनार करता है।
बयान के अनुसार, इस आदेश के बाद अधिनियम के अंतर्गत आरोपियों की गिरफ्तारी और उस पर मुकदमा चलाना लगभग असंभव हो गया है, क्योंकि अग्रिम जमानत याचिका पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया है और अब आरोपी सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी उच्च अधिकारियों से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही हो पाएगी।
बयान के अनुसार, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार के वकील इस मामले पर ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं और अधिनियम को कमजोर करने पर सवाल नहीं उठा रहे हैं।
माकपा ने केंद्र सरकार से तत्काल इस 'प्रतिगामी निर्णय के खिलाफ' समीक्षा याचिका दाखिल करने का आग्रह किया।
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