ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार : तेजस्वी ने आर्थिक स्थिति को लेकर सुशील मोदी के दावे पर किया कटाक्ष

बिहार : तेजस्वी ने आर्थिक स्थिति को लेकर सुशील मोदी के दावे पर किया कटाक्ष

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पटना, 19 सितंबर (आईएएनएस)| देश की आर्थिक स्थिति को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के दावे पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को जोरदार कटाक्ष किया। तेजस्वी ने सुशील मोदी को 'अफवाह मास्टर' बताते हुए कहा, "बिहार में लोगों को नून (नमक)-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परी-कथाएं सुना रहे हैं।"

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को ट्वीट कर एक समाचार चैनल का वीडियो संलग्न करते हुए लिखा, "15 साल राज करने के बाद अफवाह मास्टर कह रहे हैं कि बिहार गरीब राज्य है। नीतीश सरकार स्वयं विफलताएं स्वीकार कर अपनी प्रचंड नाकामी की गवाही अपनी ही जुबानी दे रही है। बिहार में लोगों को नून-रोटी नसीब नहीं हो रही है और ये महोदय टीवी पर बिस्कुट-केक खाने की परी-कथाएं सुना रहे हैं।"

सुशील मोदी ने बुधवार को कहा था कि देश में आर्थिक मंदी नहीं है, बल्कि कर कम किए जाने के लिए बड़ी कंपनियां सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रही हैं। उपमुख्यमंत्री ने पारले-जी बिस्कुट कंपनी का उदाहरण देते हुए दावा करते हुए कहा था कि वास्तव में बिहार में इस बिस्कुट की मांग बढ़ी है।

झारखंड की राजधानी रांची में एक समाचार चैनल के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के दौरान सुशील ने कहा कि कोई आर्थिक मंदी नहीं है। मीडिया में ऑटोमोबाइल और अन्य क्षेत्रों के बारे में जो रिपोर्ट देखने को मिलती है, वास्तव में यह आद्योगिक घराना लॉबी द्वारा कर की दरों को कम करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की एक चाल है।

उन्होंने कहा था कि पारले-जी का उदाहरण लें। बिहार में इसकी मांग वास्तव में बढ़ी है। ऐसे में आश्चर्य होता है कि मांग में गिरावट कैसे आई। केरल और तमिलनाडु जैसे विकसित राज्यों में इन बिस्कुटों के स्थान पर पेस्ट्री खाना शुरू कर दिए जाने से क्या ऐसा हो सकता है?"

तेजस्वी ने मोदी के इस बयान पर कटाक्ष करते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, "बिहार के सबसे बड़े कुतर्क मास्टर सुशील मोदी कभी कहते हैं सावन-भादो की वजह से मंदी है। कभी कहते है पितृपक्ष, कभी खरमास, कभी बाढ़-सुखाड़ तो कभी कानून व्यवस्था और प्राकृतिक आपदा की वजह से मंदी है। इनके बेतुके कुतर्को का भावार्थ है कि युवा घबराए नहीं, अगले 30 वर्ष में नौकरी मिल जाएगी।"

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×