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जस्टिस आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सदस्य बनीं

नेशनल हेराल्ड बेदखली मामले में उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा

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भारत के प्रधान न्यायाधीश पद से न्यायाधीश रंजन गोगोई के सेवानिवृत्त होने के बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में नये सदस्य के तौर पर न्यायाधीश आर भानुमति शामिल होंगी। कॉलेजियम में उच्चतम न्यायालय के पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।

न्यायाधीश भानुमति पिछले 13 वर्षों में न्यायाधीश रुमा पाल के बाद कॉलेजियम का हिस्सा बनने वाली दूसरी महिला होंगी।

न्यायाधीश पाल 2006 में सेवानिवृत्त होने से पहले कॉलेजियम का सदस्य बनने वाली अभी तक की आखिरी महिला थीं।

उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम में शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए चयन करने और नामों की सिफारिश करने के लिए सदस्य के तौर पर पांच सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।

उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लोगों के नामों की सिफारिश करने वाले कॉलेजियम में उसके सदस्यों के तौर पर उच्चतम न्यायालय के तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं।

सीजेआई के तौर पर 17 नवंबर को न्यायाधीश गोगोई की सेवानिवृत्ति के साथ ही न्यायाधीश भानुमति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वरिष्ठता क्रम में पांचवें नंबर पर आ गयी हैं और इससे वह स्वत: ही कॉलेजियम का हिस्सा बन जाएंगी।

भारत के नये प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के अलावा न्यायाधीश एन वी रमन, न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश आर एफ नरीमन और न्यायाधीश भानुमति कॉलेजियम का हिस्सा होंगे।

न्यायाधीश भानुमति 1988 में तमिलनाडु में जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनी थीं। उनकी तीन अप्रैल 2003 को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नति की गयी और बाद में वह 16 नवंबर 2013 को झारखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश बनीं।

न्यायाधीश भानुमति 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बनीं और वह 19 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त होंगी।

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