अक्षय तृतीया के अवसर पर सोमवार को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट खुलने के साथ ही गढ़वाल हिमालय की प्रसिद्ध वार्षिक चारधाम यात्रा प्रारंभ हो गई है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में दस हजार फीट से ज्यादा की उंचाई पर स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर और रुद्रप्रयाग जिले में 11 हजार फीट की उंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा से संबंधित सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है.
सर्दियों में छह महीने तक बंद रहने के बाद इन चारों धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिये खोल दिए गए हैं. गढ़वाल हिमालय के चार धामों के नाम से प्रसिद्ध एक अन्य धाम चमोली जिले मे स्थित बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी 11 मई को श्रद्धालुओं के लिये खोल दिए जाएंगे.
गंगोत्री धाम
गंगोत्री पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल है. हिंदु धर्म की चारधाम यात्रा में एक स्थान गंगोत्री का भी है. गंगा नदी गौमुख (ग्लेशियर) से निकलती है जो गंगोत्री मंदिर से करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित है. गंगोत्री से गंगा नदी के निकलने के कारण ही श्रद्धालु गंगोत्री जाकर पूजा करते हैं.
यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री धाम यमुना नदी का उद्गम स्थल है. यमुना नदी का उद्गम स्थल होने के कारण ही श्रद्धालु यमुनोत्री धाम की यात्रा करने पहुंचते हैं. यमुनोत्री चारधामों में से एक है. यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बरकोट से करीब 40 किलोमीटर दूर गढ़वाल हिमालय में स्थित है.
बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ हिंदुओं की मान्यता के मुताबिक चारधामों में से एक पवित्र स्थल है. बद्रीनाथ भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर का ‘प्रमुख चार धाम यात्रा’ और ‘छोटी चार धाम यात्रा’ दोनों ही यात्राओं में महत्व है. यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है.
बर्फबारी के चलते सर्दियों में बंद रहते हैं कपाट
इन धामों के कपाट हर साल सर्दियों में भारी बर्फबारी की चपेट मे रहने के कारण श्रद्धालुओं के दर्शन के लिये बंद कर दिये जाते है जो गर्मियां आने पर दोबारा खोल दिये जाते हैं.
छह माह के यात्रा सीजन के दौरान इन धामों के दर्शन के लिये देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी रीढ़ माना जाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)