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छत्तीसगढ़: नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा के 47 आदिवासी बच्चे NEET और JEE में सफल

सरकार के कार्यक्रम छू लो आसमान के तहत दी जाने वाली निशुल्क कोचिंग से 47 बच्चों ने सफलता हासिल की है.

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल (Naxal) प्रभावित जिलों में से एक दंतेवाड़ा (Dantewada) के 47 आदिवासी छात्रों ने नीट और जेईई (NEET & JEE) में कामयाब हुए हैं. दंतेवाड़ा के कारली और बालूद में सरकार के कार्यक्रम छू लो आसमान के तहत दी जाने वाली निशुल्क कोचिंग से 47 बच्चों ने सफलता हासिल की है.

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दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी बच्चों को जेईई और नीट की तैयारी कलेक्टर विनीत नंदनवार ने कराई थी. इन्होंने खासकर ड्रापर्स बच्चों को दूसरा अवसर दिया और परिणाम अच्छे रहे. कारली और बालूद से कुल 64 छात्र-छात्राओं ने प्रतियोगी परीक्षा जेईई और नीट के लिये परीक्षा दी थी. जिसमें से 47 छात्र-छात्राओं ने सफलता हासिल की.

तैयारी के लिए बालूद में 29 बच्चे और कारली में 35 बच्चे राजी हुए, जब परिणाम आए तो बालूद के 29 ड्रापर्स में से 19 बच्चों ने कामयाबी हासिल की और कारली के 35 में से 28 छात्राओं ने नीट क्वालीफाई किया.

बच्चों ने कैसे की तैयारी?

बता दें कि, इन बच्चों की परीक्षा की तैयारी पर कलेक्टर विनीत नंदनवार ने काफी ध्यान दिया. इन बच्चों के टाइम टेबल, सेल्फ स्टडी को लेकर वे समय-समय पर निर्देशित करते रहे और मॉनिटरिंग भी उन्होंने ही की. ड्रापर्स की क्लास सुबह आठ से शाम पांच बजे तक लगती थी. इसके बाद एक घंटे का ब्रेक दिया जाता था और फिर सेल्फ स्टडी. ये ड्रापर्स शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सेल्फ स्टडी करते थे. तैयारी कर रहे इन बच्चों का हर महीने में तीन बार टेस्ट लिया जाता था. इन्हें हर विषय पर 100 से 150 सवाल हल करने के लिए दिए जाते थे.

कलेक्टर नंदनवार बताते हैं,

सिविल सेवा परीक्षा पास करने में मुझे चार प्रयास करने पड़े, जिससे मुझे विश्वास हो गया कि छात्रों के लिए अपने सपनों को पूरा करने का एक और अवसर देना जरूरी है. पहले प्रयास में असफल होने वालों को हमेशा अन्य अवसर देना चाहिए.
कलेक्टर विनीत नंदनवार

कलेक्टर नंदनवार ने आगे कहा कि, जिन ड्रापर्स को हमने दूसरा मौका दिया, उन्होंने सफलता हासिल की. आने वाले साल में ये संख्या और बढ़ाई जाएगी और हमारा लक्ष्य है कि अगली बार जिले से 100 बच्चों का चयन हो. वहीं ड्रापर्स बैच की सीट्स में भी वृद्धि की जाएगी.

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