बेल्ट एंड रोड चीन द्वारा प्रस्तुत की गई सबसे महत्वाकांक्षी और अहम पहल मानी जाती है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सत्ता में आने के कुछ समय बाद इसका प्रस्ताव रखा था। बीआरआई पहल कितनी सफल रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक इस परियोजना के निर्माण संबंधी सहयोग दस्तावेजों पर 140 से अधिक देशों व 32 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे जाहिर होता है कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी व जि़म्मेदार भूमिका निभाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
गौरतलब है कि 7 सितंबर 2013 को चीनी राष्ट्रपति ने कजाखस्तान में इस संबंध में संयुक्त पहल पेश की। जिसका मकसद विभिन्न तटीय देशों के नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर करना था। इसके पश्चात 2013 के अक्तूबर महीने में समुद्री सिल्क रोड के निर्माण का प्रस्ताव दुनिया के सम्मुख रखा गया। इस तरह एक पट्टी-एक मार्ग यानी बेल्ट एंड रोड पहल शुरू हुई। चीन का मानना है कि यह एक तरह से चीन द्वारा विश्व के तमाम देशों को दिया गया उपहार है। क्योंकि समूचे विश्व ने जिस तरह की आर्थिक मंदी का सामना किया, उसके परिप्रेक्ष्य में चीनी राष्ट्रपति की यह घोषणा अहम रही।
ऐसा नहीं कि सिर्फ एक ऐलान के बाद ही चीन की कोशिश रुक गई, बाद में भी विभिन्न मंचों के जरिए चीनी नेता अपनी प्रतिबद्धता व जि़म्मेदारी जताते रहे। उदाहरण के लिए मार्च 2015 में बोआओ एशिया मंच के दौरान एक महत्वपूर्ण घोषणा की गयी, जिसे सिल्क रोड आर्थिक पट्टी और 21वीं सदी के समुद्री सिल्क रोड के संयुक्त निर्माण को बढ़ावा देने संबंधी परिकल्पना और कार्रवाई नाम दिया गया। इस मौके पर चीनी राष्ट्रपति शी ने जो भाषण दिया, उससे दुनिया को एक मजबूत संकेत गया कि चीन सिर्फ कोरे वादे नहीं करता, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए ठोस कदम भी उठाता है।
बेल्ट एंड रोड पहल के ऐलान के लगभग पांच वर्ष के बाद पेइचिंग में इसको लेकर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय शिखर मंच का आयोजन हुआ। जिसमें शी चिनफिंग ने जो भाषण दिया, उससे जाहिर हुआ कि इस परियोजना ने विश्व के कई देशों को विकास के नए अवसर प्रदान किए हैं। एक तरह से विभिन्न राष्ट्रों को एक साथ आगे बढ़ने का मौका मिला।
वहीं चीनी राष्ट्रपति शी ने शुक्रवार 19 नवंबर को पेइचिंग में बेल्ट एंड रोड के निर्माण की संगोष्ठी में इस पहल को उच्च-मानक, सतत और जन कल्याण के लिए लाभकारी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने विकासशील देशों को अपने ऊर्जा क्षेत्रों में हरित और निम्न-कार्बन की तरफ जाने के लिए भी प्रेरित किया। इतना ही नहीं चीन का दावा है कि वह इंटरकनेक्टिविटी पर बेल्ट एंड रोड सहयोग की नींव को मजबूत करेगा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए नए अवसर पैदा करेगा। इसके अलावा भी चीन स्वस्थ, हरित, डिजिटल और नवाचार जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग जारी रखेगा और सहयोग के लिए नए विकास बिंदुओं को तैयार करेगा।
ध्यान रहे कि चीन ने पिछले कुछ दशकों में करोड़ों लोगों को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला है, ऐसे में चीन की यह पहल दूसरे देशों को भी इस समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकती है। विश्व बैंक की रिपोर्ट से भी इसका पता चलता है, बैंक का अनुमान है कि बेल्ट एंड रोड संबंधी परियोजनाओं से 76 लाख लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर आ सकेंगे। जबकि 3 करोड़ 2 लाख लोगों को मध्यम गरीबी से बाहर निकलने में यह पहल अहम होगी।
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