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चार अरब के DDA लैंड पूलिंग घोटाले का भंडाफोड़, 3 गिरफ्तार  

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने चार अरब के डीडीए लैंड पूलिंग स्कैम का भंडाफोड़ किया है

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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने चार अरब के डीडीए लैंड पूलिंग स्कैम का भंडाफोड़ किया है.इस सिलसिले में तीन ठग गिरफ्तार किए गए हैं. गिरफ्तार बिल्डर लोगों को डीडीए लैंड पूलिंग स्कीम का झांसा देकर करोड़ों रुपया डकार कर फरार हो चुके थे.

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गिरफ्तार धोखेबाजों का नाम सतेंद्र मान, प्रदीप सेहरावत और सुभाष चंद है. यह तीनों ठग कंपनी रेवांता मल्टी स्टेट सीजीएचएस लिमिटेड के क्रमश: पूर्व अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और मौजूदा सचिव है.

शुक्रवार को यह जानकारी दिल्ली पुलिस इकनॉमिक क्राइम ब्रान्च के संयुक्त ज्वाइंट कमिश्नर डॉ.ओ.पी. मिश्रा ने आईएएनएस को दी. संयुक्त पुलिस आयुक्त ने आगे बताया, "करोड़ों रुपये की जालसाजी में तीनों को 13 फरवरी को गिरफ्तार गिया गया. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग स्कीम का झांसा देकर अनजान लोगों को करोड़ों रुपये डकार चुके थे. करोड़ों रुपया वसूलने के बाद इन तीनों ने न तो ग्राहकों को रुपये वापिस लौटाये न ही जमीन-फ्लैट दिया. पीड़ित जब अपनी गाढ़ी कमाई वापस मांगते तो ये जालसाज उन भोले-भाले लोगों को धमकाकर भगा देते थे. इन लोगों ने ठगी का केंद्रबिंदु कहिये या फिर कथित मुख्यालय जो दिल्ली के द्वारका इलाके में बना रखा था."

डॉ. मिश्रा ने आईएएनएस को आगे बताया, "गिरफ्तार तीनों जालसाजों के खिलाफ 26 दिसंबर, 2019 को ही आर्थिक अपराध शाखा में एफआईआर नंबर 292/19 ठगी, धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था. केस दर्ज होते ही आरोपी फरार हो गए थे. इनकी गिरफ्तारी के लिए शाखा की कई टीमें तभी से देशभर में छापामारी कर रही थीं. लोगों से रकम ठगने के लिए ये भू-माफिया ठग जमीन को डीडीए के एल-जोन की बताते थे. जबकि हकीकत में इन ठगों का डीडीए की लैंड पूलिंग एल-जोन स्कीम से दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं था. ये लोगों को सिर्फ सपने दिखाकर करोड़ों रुपये डकारे बैठे थे."

आर्थिक अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त के मुताबिक, "लोगों को फंसाने के लिए इन ठगों ने जमीन-फ्लैट्स की खूबसूरत डिजाइनशुदा रंगीन कीमती कागज पर बुकलेट्स इत्यादि भी छपवा रखी थीं, जिन्हें देखकर कोई भी सस्ते में सुंदर मकान व जमीन लेने के झांसे में आ जाता था. डीडीए ने जब इन सबकी पड़ताल की, तो मालूम पड़ा कि लैंड पूलिंग एल-जोन स्कीम से इन ठगों का दूर-दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है. इन ठगों के नाम पर एक मीटर भी अधिकृत जगह नहीं थी. इसके बाद भी इन्होंने जाल में करीब 3997 लोग फंसा लिए. ऐसे ही 16 अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए हैं. उनमें वांछित ठगों की तलाश में भी अपराध शाखा की टीमें दिनरात देशभर में छापे मार रही हैं."

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