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विकास दुबे का ‘कैशियर’- 7 साल में 4 हजार की नौकरी से बना करोड़पति

7 साल पहले जो शख्स एक प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हजार रुपए की सैलरी पर काम करता था

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7 साल पहले जो शख्स एक प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हजार रुपए की सैलरी पर काम करता था, आज करोड़ों का मालिक है. दुबई से लेकर देश के कई शहरों में मकान हैं, लग्जरी गाड़ियों का काफिला है. इस शख्स का नाम है जय वाजपेयी, जिसे कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या के आरोपी विकास दुबे का खजांची बताया जा रहा है. फिलहाल जय वाजपेयी पुलिस की गिरफ्त में है और उसकी संपत्तियों पर छापे पड़ रहे हैं. पुलिस ने कानपुर में जय विला की भी तलाशी ली है. जय वाजपेयी की कहानी में कई कोने हैं और हर कोने में एक कहानी छिपी है.

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दरअसल, जय वाजपेयी का तिलस्म तब टूटना शुरू हुआ जब कानपुर मुठभेड़ के बाद विकास दुबे की तलाश में जुटी पुलिस को काकादेव में 3 कारें मिलीं. इन कारों पर कोई नंबर नहीं था और ये जय वाजपेयी की थीं. कहा जा रहा है कि ये कारें विकास दुबे इस्तेमाल करता था.

जय वाजपेयी कैसे 'विकास' की सीढ़ियां चढ़ता गया?

सूत्र बतात हैं कि महज सात साल में जय का सामाज्य खड़ा होने के पीछे विकास दुबे ही है. दरअसल जय विकास के बूते विवादित जमीनें औने-पौने दाम पर खरीदता था और फिर उसे बेचता था. विकास के बाहुबल के बूते वो मार्केट में सूदखोरी का काम भी करता था. कहा ये भी जा रहा है कि उसका लखनऊ-कानपुर रोड पर एक पेट्रोल पंप भी है जो अवैध रूप से चल रहा है.

जय वाजपेयी की अकूत संपत्ति

विकास दुबे की तलाश में जुटी पुलिस जैसे-जैसे जय की परतें उतार रही हैं सच सामने आता जा रहा है. अभी तक इन संपत्तियों के बारे में जानकारी मिली है. सिर्फ ब्रहम नगर में ही जय के एक दर्जन से अधिक मकान हैं. बताया जा रहा है कि जय ने हाल ही में दुबई में ही एक फ्लैट लिया है जिसमें विकास भी रुका था.

  • 111/478 हर्ष नगर
  • 111/481 हार्स नगर
  • 107/298 ब्रह्म नगर
  • 107/299 ब्रह्म नगर
  • 107/300 ब्रह्म नगर
  • 107/308 ब्रह्म नगर
  • पनकी मंदिर के पास आलीशान बंगला
  • स्वरूप नगर और तिलक नगर में अपार्टमेंट
  • चौबेपुर बिठूर व बिल्हौर में कई बीघा जमीन
  • 8 लग्जरी गाड़ियां

जय के हाई प्रोफाइल कनेक्शन

इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब जय कई मामलों में वांटेड है तो उसे उसका पासपोर्ट कैसे बन गया. कहा जा रहा है एक पूर्व एसएसपी से उसके घनिष्ठ संबंध रहे हैं और इसी वजह से पासपोर्ट के लिए मंजूरी मिल गई. जय के मकानों में कई दारोगा और सिपाहियों के रहने की भी बात पता चली है.

चार दिन बाद भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा विकास

7 साल पहले जो शख्स एक प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हजार रुपए की सैलरी पर काम करता था

इस बीच 8 पुलिसवालों की हत्या कर फरार हुआ विकास दुबे यूपी पुलिस की साख पर नए सिरे से बट्टा लगा रहा है. एक तरफ विकास का पुलिस पता नहीं लगा पा रही रही है, दूसरी तरफ एक के बाद एक पुलिस वालों से उसके संबंधों का खुलासा हो रहा है. विकास के गांव में पुलिस ने कई घरों की तलाशी है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इनके नाम हैं सुरेश वर्मा, विकास के घर मे रहने वाली नौकरानी रेखा और क्षमा दुबे जो कि विकास की बहू है. गांव में कई घरों से जिंदा बम भी मिले हैं.

इस बीच लखनऊ रेंज आईजी लक्ष्मी सिंह ने बिल्हौर सीओ दफ्तर में छानबीन की है. विकास से संबंधों के लिए एक एसएचओ दो सिपाही सस्पेंड हो चुके हैं.

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