बच्चियों के साथ यौन हिंसा की घटनाओं में ज्यादातर उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी और जान-पहचान के लोग ही शामिल रहते हैं. लिहाजा, आज बच्चे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. ऐसा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी ताजा आंकड़े बयां कर रहे हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक करीब 95 फीसदी मामलों में महिलाएं अपनों के ही दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं.
बलात्कार के जारी आंकड़े कहते हैं कि, “2016 में 94.6% बलात्कार केस में आरोपी- भाई, पिता, दादा, बेटा या परिचितों सहित पीड़ित के रिश्तेदार ही हैं.”
एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले साल रेप के कुल 38,947 मामले दर्ज किए गए. इनमें से 36,859 मामलों में रेप करने वाले अपने ही थे.
क्या कहते हैं एनसीआरबी रिपोर्ट 2016 के आंकड़े
- बलात्कार के 630 मामलों में सगे दादा, पिता, भाई और बेटे ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया.
- 1,087 मामलों में अन्य नजदीकी संबंधियों पर दुष्कर्म का आरोप लगा.
- 2,174 मामलों में रिश्तेदार बलात्कार के आरोप की जद में आये, जबकि 10,520 मामलों में पड़ोसियों पर रेप के मामले दर्ज हुए.
- नियोक्ताओं और सहकर्मियों पर 600 मामलों में बलात्कार का आरोप लगा.
- लिव-इन, पति और पूर्व पति पर रेप के कुल 557 मामले दर्ज हुए.
- शादी का वादा कर महिलाओं से बलात्कार के 10,068 मामले दर्ज किये गये.
निगरानी जरूरी
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एनसीआरबी के इन आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा कि हमारे समाज में लड़कियों पर कई बंदिशें लगाई जाती हैं. अब समय आ गया है कि हर घर में लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाए कि उन्हें सामाजिक मूल्यों के मुताबिक अपने परिवार और इससे बाहर औरतों से कैसा बर्ताव करना है.
उन्होंने कहा इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पोर्न मटीरियल आसानी से उपलब्ध है. ऐसे में माता-पिता को ध्यान रखना होगा कि मोबाइल फोन और कम्प्यूटर पर बच्चे क्या देख रहे हैं, इसकी निगरानी जरूरी है.
(-इनपुट :पीटीआई से)
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