मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर में हुए गोलीकांड की पीड़िता देविका ठाकुर की सोमवार, 26 जून को मौत हो गई. देविका पिछले 10 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी. ऑर्गन फेल होने के कारण उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. वहीं इस मामले में आरोपी प्रियांश विश्वकर्मा को पुलिस ने 19 जून को ही गिरफ्तार कर लिया था. उसके खिलाफ धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया है. आरोपी प्रियांश विश्वकर्मा को बीजेपी नेता बताया जा रहा था, हालांकि पार्टी ने इससे साफ इनकार किया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 16 जून को प्रियांश विश्वकर्मा ने अपनी दोस्त देविका ठाकुर को मिलने के लिए धनवंतरी नगर स्थित अपने ऑफिस में बुलाया था. इसी बीच बातचीत के दौरान प्रियांश विश्वकर्मा की पिस्टल से निकली गोली, देविका ठाकुर के सीने में जा लगी. इसके बाद प्रियांश ने देविका की मौसी को फोन किया और तबीयत खराब होने की बात कहकर ऑफिस बुलाया. सूचना पर पहुंची मौसी ने देखा कि देविका बेहोशी की हालत में पड़ी हुई थी. आनन-फानन में प्रियांश देविका को लेकर एक निजी अस्पताल पहुंचा.
पुलिस को बिना सूचना दिए देविका का 6 घंटे तक निजी अस्पताल में इलाज किया गया. ये बात अस्पताल से बाहर नहीं निकले, इसके लिए ऑपरेशन थिएटर में लोगों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी गई थी.
लेकिन सीने में फंसी गोली को निकालने के लिए किसी विशेषज्ञ के न होने पर प्रियांश ने देविका को दूसरे अस्पताल में भर्ती करवाया. कहा जा रहा है कि इसके बाद प्रियांश सबूत मिटाने की नीयत से अपने ऑफिस में लगे CCTV कैमरे और पिस्टल को लेकर फरार हो गया.
रीढ़ की हड्डी में फंसी थी गोली
देविका की रीढ़ की हड्डी के पास गोली फंस गई थी. जिसे निकालने के लिए ऑपरेशन भी किया गया था. लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं रहा. गोली से निकले बारूद की वजह से शरीर में इंफेक्शन फैल गया था. जिसके कारण शरीर के आधे अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी.
देविका के समर्थन में उतरी कांग्रेस
इस मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी सवाल खड़े हुए थे. पुलिस पर आरोप लगे थे कि घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई थी. परिजनों के हंगामे के बाद संजीवनी नगर पुलिस थाने में प्रियांश के खिलाफ IPC की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या) और 25, 26 आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.
वहीं, इस मामले में कांग्रेस पार्टी देविका के समर्थन में उतर आई. एसपी ऑफिस का घेराव किया गया और प्रियांश के खिलाफ धारा 307 के तहत कार्रवाई की मांग की गई.
गोलीकांड की उलझी गुत्थी
वारादात के 70 घंटे बाद, 19 जून को पुलिस ने प्रियांश को सरेंडर करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने प्रियांश से पूछताछ की, लेकिन घटना के बारे में उसने कुछ भी नहीं बताया. जिसके बाद पुलिस ने IPC की धारा 308 से बढ़ाकर 307 के तहत मामला दर्ज कर प्रियांश को जेल भेज दिया.
वहीं, मौत से पहले अस्पताल में भर्ती देविका ने एक वीडियो में साफ कहा था कि प्रियांश ने उसे गोली मारी थी. हालांकि, गोली क्यों मारी इसके जवाब में देविका ने कहा था कि उसे भी नहीं पता.
मामले में 10 दिन बीत जाने के बाद भी साफ नहीं हो पाया है कि आखिर प्रियांश ने देविका को गोली क्यों मारी थी?
प्रियांश से BJP ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में प्रियांश के बीजेपी से जुड़े होने की बात सामने आ रही थी. उसे कथित तौर पर बीजेपी नेता बताया जा रहा था. हालांकि, बीजेपी नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया है कि "हाल ही में गोलीकांड में संदिग्ध गंगानगर निवासी प्रियांश विश्वकर्मा भारतीय जनता पार्टी में किसी भी पद पर नहीं है."
(इनपुट-शिव चौबे)
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