दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर बैठी महिलाओं ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2017 के बाद से अभी तक एक पैसा भी दिल्ली सरकार ने नहीं बढ़ाया है, जबकि चुनावी राज्यों में जाकर आंगनवाड़ी महिलाओं को लेकर वादे कर रहे हैं। हमने महामारी के दौरान घर घर जाकर लोगों की सेवाएं की लेकिन फिर भी हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
दिल्ली कांग्रेस के अनुसार, केन्द्र सरकार ने इनके वेतन में बढ़ोतरी की घोषणा 11 सितम्बर 2018 को कर दी थी। जबकि अगस्त 2017 में 58 दिन की हड़ताल के बाद पिछली बार दिल्ली सरकार ने लगभग 22000 आंगनबाड़ी वर्करों के मानदेय में बढ़ोत्तरी की थी। वर्तमान में आगनबाड़ी कार्यकर्ता 9678 रुपये और हेल्पर्स को 4839 रुपये मासिक मिल रहा है, जबकि दिल्ली में न्यूनतम वेतन लगभग 14000 रुपये मासिक है।
अनिल कुमार ने आगे कहा कि, दिल्ली मॉडल की दुहाई देने वाले केजरीवाल पंजाब के आगनबाड़ी वर्करों और गेस्ट टीचरों को नियमित करने का सब्जबाग दिखाकर भ्रमित कर रहे हैं, क्योंकि पिछले 7 वर्षों में उन्होंने दिल्ली के आगनबाड़ी वर्करों और गेस्ट टीचरों नियमित करना तो दूर सरकार द्वारा लागू न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, पिछले 4 महीनों से अपने मानदेय में बढ़ोतरी के लिए प्रयासरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की दिल्ली स्टेट आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हैल्पर्स यूनियन ने 7 सितम्बर, 2021 को दिल्ली व केन्द्र सरकार को हड़ताल चेतावनी दी थी।
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