केंद्र सरकार ने 13 प्वाइंट रोस्टर मामले पर अध्यादेश जारी कर बड़ा फैसला किया है. सरकार ने The Central Educational Institutions (Reservation in Teachers’ Cadre) Ordinance, 2019 अध्यादेश जारी करने का ऐलान किया है. इसके तहत अब 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू हो गया है. अब आरक्षण के लिए डिपार्टमेंट नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी या कॉलेज एक यूनिट माना जाएगा.
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पढ़िए 13 प्वाइंट रोस्टर मामले पर 10 बड़ी बातें :
- 13 प्वाइंट रोस्टर एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें 13 पदों को क्रमबद्ध तरीके से दर्ज किया जाता है. इस सिस्टम के तहत यूनिवर्सिटी को यूनिट न मानकर, डिपार्टमेंट को यूनिट माना जाता है.
- आसान शब्दों में, अगर एक डिपार्टेमेंट में 13 वैकेंसी निकलती है, तो चौथा, आठवां और बारहवां कैंडिडेट OBC होगा. मतलब कि एक ओबीसी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 4 वैकेंसी होनी चाहिए. इसी तरह 7वां कैंडिडेट एससी कैटेगरी का होगा, 14वां कैंडिडेट ST होगा. बाकी 1,2,3,5,6,9,10,11,13 पोजिशन अनारक्षित पद होंगे.
- देश के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की भर्ती 200 प्वाइंट रोस्टर के तहत की जाती थी. इसके तहत पूरे विश्वविद्यालय को एक यूनिट मान लिया जाता है. इस वजह से हर कैटेगरी के उम्मीदवार की जगह सुनिश्चित हो जाती है.
- पिछले दिनों उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विभाग/विषय के हिसाब से आरक्षण के खिलाफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से 2017 में शुरू हुआ आंदोलन देशव्यापी बन गया था. सड़क से संसद तक इसकी गूंज सुनाई देने लगी थी.
- इस मुद्दे पर अप्रैल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट और 22 जनवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से उच्च शिक्षा केंद्रों में SC-ST-OBC के आरक्षण के जरिए प्रवेश का काफी रास्ता काफी हद तक अटक गया था.
- इस मामले पर बवाल तब शुरू हुआ था, जब 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी, 2019 को खारिज कर दिया. इसी के साथ ही ये तय हो गया कि यूनिवर्सिटी में खाली पदों को 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के जरिए ही भरा जाएगा.
- इससे पहले साल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूनिवर्सिटी में टीचरों का रिक्रूटमेंट डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट के हिसाब से होगा, न कि यूनिवर्सिटी के हिसाब से.
- पहले वैकेंसी भरते वक्त यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, उसके हिसाब से आरक्षण दिया जाता था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद वैकेंसी भरने के लिए डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट को यूनिट माना जाने लगा. साथ ही 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू हो गया.
- एक यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट को शुरू करने के लिए 2 असिस्टेंट प्रोफेसर, एक असोसिएट प्रोफेसर और एक प्रोफेसर होना चाहिए. मतलब कुल संख्या 4-5. देश में शायद ही कोई ऐसी यूनिवर्सिटी हो, जहां एक डिपार्टमेंट में एक साथ 14 या उससे ज्यादा वेकेंसी निकाली जाती हो.
- बता दें, देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू होता है. लेकिन देश की इन यूनिवर्सिटी में 95.2% प्रोफेसर, 92.9% असोसिएट प्रोफेसर, 66.27% असिस्टेंट प्रोफेसर जनरल कैटेगरी से आते हैं. इनमें SC, ST और OBC के वो उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिला है.
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