JEE मेन 2021 की तारीखों का ऐलान करने के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अब घोषणा की है कि JEE एडवांस्ड 2021 3 जुलाई को आयोजित कराया जाएगा. इस साल IITs में एडमिशन का एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या है और JEE एडवांस्ड में कौन-कौन बैठ सकता है?
JEE एडवांस्ड के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या है?
JEE एडवांस्ड IITs में अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग कोर्सेस में एडमिशन के लिए एक स्क्रीनिंग एग्जाम है. जबकि JEE मेन NITs, IIITs, CFTIs और कई अन्य कॉलेजों में UG एडमिशन के लिए क्वालीफाइंग एग्जाम है.
JEE मेन से सिर्फ टॉप 2,50,000 छात्र ही JEE एडवांस्ड में बैठने के लिए एलिजिबल होते हैं. JEE एडवांस्ड ज्यादा कॉम्प्लेक्स और बारीक एंट्रेंस एग्जाम होता है.
IIT में एडमिशन के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया क्या है?
आम तौर पर एक छात्र IIT में तभी अप्लाई कर सकता है, जब उसके क्लास 12 बोर्ड में 75 फीसदी नंबर आए हों या स्कूल-लीविंग एग्जाम में वो टॉप 20 परसेंटाइल में हो.
हालांकि, शिक्षा मंत्री ने कहा है कि कोरोना वायरस स्थिति कम नहीं हुई है और इसलिए मंत्रालय ने इस क्राइटेरिया में छूट देने का निर्णय किया है.
“क्योंकि हम महामारी से पूरी तरह बाहर नहीं आ पाए हैं, इसलिए हमने IIT में एडमिशन के लिए बोर्ड एग्जाम में 75 फीसदी के क्राइटेरिया में छूट देने का फैसला किया है.”डॉ रमेश पोखरियाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री
2020 में IIT एडमिशन का क्या क्राइटेरिया था?
जुलाई 2020 में डॉ पोखरियाल ने ऐलान किया था कि क्लास 12 बोर्ड में 75 फीसदी नंबर या स्कूल-लीविंग एग्जाम में टॉप 20 परसेंटाइल में रैंकिंग का क्राइटेरिया में सिर्फ इस साल के लिए छूट दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से कई एग्जाम हो नहीं पाए हैं.
एडमिशन कैसे होंगे?
FIIT JEE समूह के एक एक्सपर्ट रमेश बाटलिश ने बताया कि नतीजों के ऐलान और रैंकिंग पब्लिश होने के बाद छात्रों को काउंसलिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो कि जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (joSAA) आयोजित कराएगी.
अथॉरिटी 110 इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए जॉइंट सीट एलोकेशन प्रक्रिया को मैनेज और रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है.
काउंसलिंग क्या है? सीटें कैसे अलॉट की जाएंगी?
रमेश बाटलिश ने कहा कि काउंसलिंग प्रक्रिया को प्राथमिकता के एक असीमित ऑर्डर में कॉलेज और कोर्स में छात्रों को एडमिशन देने के लिए डिजाइन किया गया है.
इसके लिए छात्रों को पिछले साल की अलग-अलग IITs की क्लोसिंग कट-ऑफ दी जाती हैं, जिससे कि वो अपनी रैंक की तुलना कर सकें और उन्हें समझ में आए कि किस कोर्स में एडमिशन मिल सकता है.
हर IIT में हर कोर्स के लिए कट-ऑफ वहां अप्लाई करने वाले छात्रों की रैंक और उपलब्ध सीटों के आधार पर कैलकुलेट की जाती है.
उदाहरण के लिए, अगर IIT दिल्ली के एक कोर्स में 10 सीटें हैं और ऑल इंडिया रैंक 1 से 10 तक सभी ने वहां अप्लाई किया है, तो पहली कट-ऑफ AIR 10 पर बंद होगी.
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