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‘जाट आरक्षण की आग में उत्तर भारत के 34,000 करोड़ रुपए होंगे राख’

पीएचडी चैंबर के अनुसार, उत्तर भारत को जाट आंदोलन के कारण कुल 34,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा

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जाटों की ओबीसी आरक्षण की मांग पुरानी है. इसे लेकर हमेशा से ही उत्तर भारत में राजनीति हुई और रह रहकर बवाल भी लगातार होते रहे. लेकिन इस बार आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुए जाटों के आंदोलन ने हरियाणा के हालात बिगाड़कर रख दिए हैं. सबसे ज्यादा बुरा हाल हरियाणा की आर्थिक राजधानी माने जाने वाले शहर रोहतक का हुआ है.

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने कहा है कि उत्तर भारत के राज्यों को जाट आंदोलन के कारण आर्थिक गतिविधियां में रुकावट आने से 34,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. उद्योग मंडल ने यह भी कहा है कि माल की सप्लाई में आई बाधाओं के कारण जरुरी जिंसों के दाम में भी तेजी आई है.

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने कहा,

न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे उत्तर भारत के राज्यों में जाट आंदोलन का असर हुआ है

गुप्ता ने कहा कि रेलवे, सड़क, यात्री वाहन, माल ढुलाई वाहनों के बाधित होने, सैलानियों की संख्या में कमी, वित्तीय सेवाओं में कमी, विनिर्माण, बिजली तथा निर्माण समेत उद्योग क्षेत्र में राज्यों के जीएसडीपी को वित्त वर्ष 2015-16 की अंतिम तिमाही में भारी नुकसान हो सकता है.

उद्योग मंडल के अनुसार...

  • पर्यटन क्षेत्र, परिवहन एवं वित्तीय सेवाओं समेत सेवा गतिविधियों को आंदोलन के कारण 18,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है.
  • विनिर्माण, बिजली, निर्माण गतिविधियों एवं खाद् वस्तुओं को नुकसान के कारण औद्योगिक एवं कृषि कारोबार गतिविधयों को 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
  • सड़क, रेस्तरां, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन समेत अन्य ढांचागत सुविधाओं को हुए नुकसान के कारण 4,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
  • इस प्रकार, कुल मिलाकर जाट आंदोलन के कारण 34,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.

नुकसान का यह आंकलन हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेशन समेत उत्तरी राज्यों के लिये किया गया है. उद्योग मंडल के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद में इन राज्यों की हिस्सेदारी करीब 32 प्रतिशत है.

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