आज से 20 साल पहले कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा देने वाला फाइटर जेट मिग 27, ने आज शुक्रवार को आखिरी बार उड़ान भरी .
मिग- 27 पिछले तीन दशकों से भारतीय वायु सेना के जमीनी हमले के बेड़े की रीढ़ रही है. मिग 27 फाइटर जेट ने अपनी आखिरी उड़ान जोधपुर एयरबेस से भरी, जहां मिग 27 को संचालित करने वाला एकमात्र IAF स्क्वाड्रन है.
मिग-27 नें कारगिल युद्ध में अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी.
मिग 27 जो फिलहाल भारतीय वायु सेना के स्ट्राइक बेड़े के एक भाग के रूप में कार्य कर रहा है वो 2006 वर्नज का है . मिग के अन्य सभी वर्जन ,जैसे कि मिग -23 बीएन, मिग -23 एमएफ और खुद मिग 27 (2006 से पहले का वर्जन ) पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं. वायुसेना में अब मिग-27 की जगह मिग-21 लड़ाकू विमान ने ले ली है.
भारतीय वायुसेना ने अपने ट्वीट में लिखा -
भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान जमीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है. वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 नें 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी.
तीन दशक से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद, भारतीय वायु सेना का मिग-27 लड़ाकू विमान कल वायु सेना स्टेशन, जोधपुर से एक भव्य समारोह में डीकमीशन किया जा रहा है.
मिग-27 की खासियत
सिंगल इंजन, सिंगल सीटर टेकटिकल स्ट्राइक लड़ाकू एक रुसी विमान है. इसकी अधिकतम गति 1700 किलोमीटर / घंटा यानि की (मैक 1.6) जिसका मतलब है आवाज की गति का 1.6 गुना. इस विमान में एक 23 मिमी छह-बैरल रोटरी इंटीग्रल केनन है, और ये अधिकतम 4000 किलो तक की युद्ध सामग्री ले जाने में सक्षम है.
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