इजराइल में विभिन्न शोध संस्थानों के करीब दो दर्जन भारतीय छात्रों ने यहां शुक्रवार को भारतीय दूतावास के समक्ष संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने इन कानूनों को ‘‘राष्ट्र प्रायोजित धामिर्क उत्पीड़न का औजार’’ बताया।
इस महीने की शुरुआत में संसद में नागरिकता विधेयक पेश किए जाने के बाद से ही भारत के विभिन्न हिस्से में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। यह विधेयक अब कानून बन चुका है।
प्रदर्शनकारियों ने भारतीय ध्वज और पोस्टर हाथों में ले रखे थे जिन पर लिखा था - ‘‘सीएए धर्मनिरपेक्ष नहीं है’’, ‘‘हमने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाई, अब हम सामाजिक एकता चाहते हैं’’, ‘‘आलोचना किसी भी लोकतंत्र का अभिन्न अंग है, युवकों के ‘मन की बात’ सुनें’’। ये छात्र मुख्य रूप से वीजमैन इंस्टीट्यूट और तेल अवीव विश्वविद्यालय के थे और खराब मौसम के बावजूद वे कई घंटे तक भारतीय उच्चायोग के सामने खड़े रहे।
विद्यार्थियों ने ‘‘भारत में साथी छात्रों और नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग’’ और हिंसा की भी निंदा की।
उन्होंने सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को ‘‘राष्ट्र प्रायोजित धार्मिक उत्पीड़न का औजार’’ बताया।
छात्रों ने बयान जारी कर कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील करते हैं कि अभिव्यक्ति के हमारे मूल अधिकार और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार पर लगाम नहीं लगाएं।’’
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