दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में प्रदूषण के आंकड़ों के एक ताजा विश्लेषण से पता चला है कि 14 नए स्थानों में हवा की गुणवत्ता में औसत गिरावट दर्ज की गई है. यह विश्लेषण दिल्ली की थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने किया है.
सीएसई ने कहा कि इन 14 हॉट स्पॉट्स में दूसरे हॉट स्पॉट की तुलना में प्रदूषण अधिक दर्ज किया गया है गई. सीएसई ने जिन हॉट-स्पॉट्स का स्टडी किया उनमें अलीपुर, डीटीयू, आईटीओ, नेहरू नगर, पटपड़गंज, सोनिया विहार और दिल्ली में विवेक विहार, नोएडा में सेक्टर 1 और 116, गाजियाबाद में लोनी, संजय विहार और इंदिरापुरम, ग्रेटर नोएडा में नॉलेज पार्क वी और बुलंदशहर शामिल हैं.
सीएसई की एक स्टडी में कहा गया है कि इस साल भी लॉकडाउन के दौरान पीएम स्तर 2.5 पहुंच गया, हालांकि लॉकडाउन की अवधि भी कम थी और प्रतिबंध भी पिछली बार की तरह कम थे, इसलिए प्रदूषण स्तर 2020 की तरह कम नहीं रह पाया.
पिछले साल लॉकाउन में प्रदूषण हुआ था कम
बता दें कि पिछले साल मार्च में कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के बाद प्रदूषण में काफी गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन इस बार लॉकडाउन के नियम ज्यादा सख्त नहीं थे, इसलिए कुछ खास फर्क नहीं पड़ा.
19 अप्रैल से लागू आंशिक लॉकडाउन की वजह से दिल्ली के प्रदूषण स्तर में 20 प्रतिशत की गिरावट आई थी, इसके बाद 20 अप्रैल से लगे पूर्ण लॉकडाउन के दौरान इसमें और 12 प्रतिशत की कमी आ गई.
18 मई से लॉकडाउन की पाबंदियां हटने से पीएम 2.5 पार्टिकल्स के स्तर में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई. सीएसई के मुताबिक इसके लिए आंशिक तौर पर मौसम विभाग भी जिम्मेदार होगा, लेकिन इसका कारण शहर और आस-पास के क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के कमजोर होने के कारण भी हो सकता है.सीएसई के विश्लेषण में यह भी पता चला है कि इस साल के फरवरी-मार्च में वायु गुणवत्ता के मामले में 27 दिन बहुत खराब थे, जबकि 2020 में 17 दिन और 2019 में 12 दिन ही खराब थे.
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