26 जनवरी 2020 के दिन किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद पुलिस पर खूफिया तंत्र के फेल हो जाने के खूब आरोप लगे थे. इस पर बोलते हुए दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा है कि- "मुझे नहीं लगता कि ये इंटेलिजेंस की नाकामी थी. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे इसलिए हमने बैरिकेड्स लगाए थे और उन्हें रोका गया"
दिल्ली पुलिस कमिश्नर का कहना है कि "हमने किसानों को टैक्टर रैली करने की मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी थी. लेकिन उन्होंने धोखा दिया और तय रूट को नहीं माना. साथ ही हिंसा भी की गई. लेकिन पुलिस ने अपनी ड्यूटी अच्छी तरह की."
'किसान नेताओं ने नोटिस का जवाब दिया'
26 जनवरी को टैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर बोलते हुए पुलिस कमिश्नर ने कहा कि "अब तक जांच में 152 लोग गिरफ्तार हुए हैं. इसमें से कुछ लोग जांच में शामिल होना नहीं चाहते हैं, लेकिन ये उनकी इच्छा पर निर्भर करता है. किसान नेताओं को जो नोटिस दिए गए थे उनका जवाब दे दिया है."
100 से ज्यादा लोगों का कुछ पता नहीं चला: किसान संगठन
कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बताया गया था कि, ट्रैक्टर रैली के बाद करीब 100 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जिनका अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है. जिनकी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है. आरोप लग रहा था कि ये लोग पुलिस की हिरासत में हैं.
इन तमाम आरोपों को लेकर दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता ने फरवरी की शुरुआत में बताया था कि-
“दिल्ली पुलिस ने अब तक किसान आंदोलन को लेकर 44 एफआईआर की हैं, साथ ही कुल 122 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस की तरफ से किसी को भी गैरकानूनी तरीके से हिरासत में नहीं लिया गया है. ना ही बिठाकर रखा गया है. हमने दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर जानकारी शेयर की है. कोई भी आदमी अगर अरेस्ट हुआ है तो उसके परिजन वेबसाइट पर उसे देख सकते हैं. किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें.”दिल्ली पुलिस
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से लापता किसानों को लेकर एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. अपील की गई है कि अगर किसी को भी लापता लोगों की जानकारी मिलती है तो हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें.
26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर रैली के बाद दिल्ली पुलिस लगातार आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारियां कर रही है. इस हिंसा में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए थे, जिनमें से कई पुलिसकर्मियों का अब तक इलाज जारी है.
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