देश भर के 300 से ज्यादा प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. ये कॉलेज कभी भी बंद हो सकते हैं. इनमें से कई कॉलेजों में तो 50% सीट भी भर नहीं पा रहे हैं. मतलब तय सीटों पर 50 पर्सेंट से भी कम एडमिशन हो रहे हैं. इन कॉलेजों को अगले सत्र ( 2018-19) से दाखिला बंद करने के लिए कहा जाएगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने ऐसे सभी कॉलेजों को साइंस कॉलेज या वोकेशनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में बदलने को कहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में एचआरडी मिनिस्ट्री के एक सीनियर अफसर का हवाला देते हुए कहा है कि ऐसे और भी 500 इंजीनियरिंग कॉलेजों पर नजर रखी जा रही है, जिनमें तय सीटों पर एडमिशन नहीं हो रहे हैं.
देश में कितने इंजीनियरिंग कॉलेज?
एआईसीटीई की वेबसाइट के मुताबिक
भारत में करीब 3,000 प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिनमें 13.56 लाख स्टूडेंट्स हैं.
इन कॉलेजों में से लगभग 300 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पिछले 5 सालों से एडमिशन 50 पर्सेंट तक भी नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं 500 ऐसे कॉलेज हैं जहां तय सीटों पर लगभग 50 पर्सेंट एडमिशन हो रहे हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक जिन 300 कॉलेजों को बंद करने के लिए कहा जा सकता है उनमें से करीब 150 कॉलेजों में तय सीटों के हिसाब से 80% सीटें खाली रह जाती हैं.
कॉलेजों को बंद करना आसान नहीं
एआईसीटीई के चेयरपर्सन अनिल डी सहस्रबुद्धे के मुताबिक,
कॉलेजों को बंद करना आसान उपाय हो सकता है, लेकिन इससे और कई सारी परेशानियां खड़ी हो जाएंगी. इन कॉलेजों पर बहुत पैसा लग चुका है. साथ ही बैंक का लोन भी होगा. ऐसे में जो कॉलेज कम एडमिशन की दिक्कत से जूझ रहे हैं, उन्हें बंद करने को नहीं कहा जा सकता. अब कोई दूसरा ऑप्शन सोचना होगा.
काउंसिल ऐसे इंजीनियरिंग कॉलेजों को साइंस कॉलेज या स्किल डेवलपमेंट सेंटर में बदलने का ऑप्शन दे सकती है. इस मामले में दिसंबर 2017 के आखिर तक कोई हल निकाल लिया जाएगा.
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