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तलवार दंपति जेल से रिहा, आरुषि के नाना-नानी के घर पहुंचे

सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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आरुषि-हेमराज मर्डर केस में डासना जेल से तलवार दंपति की रिहाई हो चुकी है. गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजेश और नूपुर तलवार को हत्या समेत तमाम दूसरे आरोपों से बरी कर दिया था. कोर्ट ने दंपति के तुरंत रिहाई के आदेश दिए थे. लेकिन, रिहाई में पूरे चार दिन का वक्त लग गया. बताया गया कि शुक्रवार को कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी डासना जेल तक नहीं पहुंच पाई. फिर शनिवार, रविवार को छुट्टी पड़ गई. आज रिहाई के आदेश गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने जारी किए. यह आदेश डासना जेल पहुंचने के बाद राजेश और नूपुर तलवार की रिहाई की पूरी प्रक्रिया शुरू हो सकी.

मेडिकल टेस्ट के बाद तलवार दंपति को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से बाहर लाया गया. रिहा होने के बाद दोनों, आरुषि के नाना-नानी के घर जलवायु विहार पहुंचे.

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जेल में कमाए पैसे किए दान

तलवार दंपति ने जेल में डेंटल क्लीनिक के सेटअप में अहम योगदान किया है. उन्होंने तमाम डेंटल उपकरण भी जेल को मुहैया कराए हैं. तलवार दंपति को उनके काम के बदले जेल में रोजाना 40 रुपये मेहनताना मिलता था. 1417 दिन जेल में रहने के दौरान दोनों ने करीब 99 हजार रुपये कमाए थे. जो कि उन्होंने कैदियों के कल्याण के लिए जेल प्रशासन को दान कर दिए. दोनों ने करीब 49,500-49,500 रुपये कमाए.

जेल में रहने के दौरान राजेश तलवार ने मुरादनगर के आईटीएस हॉस्पिटल के सहयोग से तैयार कराए डेंटल क्लिनिक में काम किया. इस दौरान उन्होंने जेल अफसरों और कैदियों के दांतों का इलाज किया, जबकि नूपुर ने बच्चों और अनपढ़ महिलाओं को पढ़ाने का काम किया.

रिहाई के बाद भी करते रहेंगे जेल के मरीजों का इलाज

तलवार दंपति ने जेल प्रशासन से ये भी इच्छा जताई है कि रिहा होने के बाद भी वह हर 15 दिन में जेल आकर मरीजों का इलाज करेंगे. इसके लिए जेल प्रशासन ने अनुमति दे दी है.

2013 में सीबीआई कोर्ट ने सुनाई थी उम्र कैद की सजा

2013 में सीबीआई कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तब से दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे थे. सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपति ने जनवरी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. गुरुवार को हाईकोर्ट के जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र की बेंच ने केस की जांच में खामी का हवाला देते हुए दोनों को बरी कर दिया. साथ ही तलवार दंपति को रिहा करने के आदेश दिए. कोर्ट ने अपने फैसले में सबूतों के अभाव की बात कही.

2008 में हुई थी आरुषि की हत्या

साल 2008 में नोएडा के जलवायु विहार में आरुषि-हेमराज हत्याकांड हुआ था. उत्तर प्रदेश पुलिस से लेकर सीबीआई तक ने इस केस की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की. हत्यारे की तलाश में सीबीआई ने जब तथ्य खंगाले, तो शक की सुई घूमकर तलवार दंपति पर ही जा टिकी. जांच रिपोर्ट पेश की गई और सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया.

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दोनों को जेल से बाहर आने पर सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. जेल अधिकारियों ने गाजियाबाद जिला प्रशासन से तलवार दंपति के घर पहुंचने तक सुरक्षा मुहैया कराने की अपील की है. कई मीडिया कर्मी जेल के बाहर मौजूद हैं, जिसे देखते हुए तलवार दंपति को सुरक्षा की आवश्यकता है.

2011 में गाजियाबाद जिला कोर्ट के अंदर 30 एक शख्स ने राजेश पर तलवार पर चाकू से हमला कर दिया था. पुलिस के मुताबिक जेल अधिकारियों को जैसे ही कोर्ट से रिहाई का आदेश मिलेगा, वो एक घंटे के भीतर उन्हें रिहा कर देंगे.

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