आरुषि मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी किए जाने के बाद पहली बार राजेश तलवार और नुपूर तलवार ने अपनी बात रखी. ‘हॉटस्टार’ से बातचीत में उन्होंने जेल में बिताए चार साल लंबी कैद के बारे में खुलकर बातें की.
तलवार दंपति ने कहा-हम जिंदा है, वही काफी है. नुपूर ने कहा कि उन्होंने हर पल आरुषि को याद किया. लेकिन जेल में एक युवा लड़की थी, जिसने कुछ हद तक आरुषि की कमी को दूर किया.
‘पुराने दिनों को याद करना नहीं चाहते’
जेल से बाहर आए तलवार दंपति को दो हफ्ते हो चुके है. लेकिन अब भी वे सामान्य नहीं हो पाए हैं. इंटरव्यू के दौरान नूपुर ने कहा कि बीते दिन काफी दर्द भरे रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह फिर से पुराने दिनों को याद नहीं करना चाहती. जब उनसे यह पूछा गया कि उनको क्या लगता है कि आरुषि की हत्या किसने की? इस पर नूपुर ने कहा- “मैं इसे भगवान पर छोड़ती हूं.”
हाईकोर्ट के आदेश के बारे में नूपुर कहा, यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था. उन्होंने कहा, जेल में कुछ लड़कों ने आकर लगे लगकर मुझे और राजेश को हमारे बरी होने की खबर दी. हम दोनों फूट-फूट कर रो पड़े.
नूपुर के मुताबिक, ‘‘यह हमारे लिए काफी भावुक क्षण था. हम आरुषि के बारे में सोच रहे थे और उसे याद कर रहे थे. यह एक ऐसा हादसा है, जिसे हम कभी नहीं भूल सकते.’’
जेल में एक युवा लड़की मेरे काफी करीब थी. वह मेरे ही पास सोती थी. वह मेरा ध्यान रखती थी. मुझसे बात करती थी. उसमें मुझे आरुषि दिखाई देती थी. मुझे हमेशा ऐसा लगता था, जैसे आरुषि मेरे साथ है. उन चार सालों में मैं जेल में इसी वजह से रह पाई, क्योंकि मेरे साथ वह बच्ची थी.”नूपुर तलवार
किसी भी इंसान के लिए यह सबसे दुखद पल होता है कि वह अपने बच्चे को खो दे. वो भी इस तरीके से जैसे मैंने खोया. इस घटना के बाद से पिछले साढ़े नौ साल का समय हमारे लिए काफी मुश्किल भरा था. फिर भी हम डटे रहें. दूसरों की मदद कर और उन्हें सहायता पहुंचा कर हम खुद को बहला रहे थे. यह सब इतना आसान नहीं था. हम केवल जी रहे थे.राजेश तलवार
उन्होंने कहा, ‘‘जेल की सजा का सामना करना आसान नहीं. यह आपकी आजादी को खत्म कर देता है. कलंक का सामना करना पड़ता है.’’
2008 में हुई थी आरुषि की हत्या
बता दें कि तलवार दंपति की इकलौती बेटी आरुषि तलवार का शव उनके नोएडा स्थित फ्लैट से 16 मई 2008 को बरामद हुआ था. उसके अगले ही दिन उनके नौकर हेमराज की बॉडी भी मिली थी. नवंबर 2013 में इस मामले में लोअर कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बाद में 13 अक्टूबर 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें बरी किया.
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