सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतें संसदीय समिति की रिपोर्ट की पड़ताल कर सकती हैं. साथ ही किसी मुद्दे पर फैसले के समय उनका हवाला दे सकती हैं. हालांकि इस रिपोर्ट को चुनौती नहीं दी जा सकती है.
पांच सदस्यीय संविधान पीठ पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक है और इसलिए इसका जिक्र करना संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक अलग, लेकिन मिलते-जुलते फैसले में कहा, "इस बात की कोई वजह या औचित्य नहीं है कि संसदीय समिति की रिपोर्ट की अदालत समीक्षा नहीं कर सकती."
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की पांच जजों की पीठ ने यह फैसला उस सवाल के सामने आने के बाद दिया, जिसमें पूछा गया था कि क्या ऐसे किसी मामले पर फैसला देते समय ऐसी रिपोर्ट को आधार बनाया जा सकता है.
दरअसल, ये सवाल कल्पना मेहता की एक जनहित याचिका से पैदा हुआ था, जिसमें उन्होंने सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए दवा की दो कंपनियों की ओर से पेश किए गए टीके की क्षमता के बारे में पूछा था.
(इनपुट: IANS)
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