500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की भीड़ में रिपाेर्टर माइक और कैमरे के साथ बैंक की लाइन में लोगों से पूछता हुआ 'आप को कैसा लग रहा है?’.
तब ही मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न इस नजारे को रिपोर्टर की नजर से नहीं, आम लोगों की नजर से देखा जाए. तो बस हम भी पहुंच गए और लग गए बैंक के बाहर लगी लाइन में अपने पुराने 500 और 1000 के नोट को बदलने और देखने कि आखिर मेरा नंबर कब आता है?
8 घंटे उस बैंक की लाइन में खड़े रहने के बाद मैं लाइन में लगी भीड़ का गुस्सा और परेशानी समझ सकता हूं. बस अब उम्मीद यही है कि लोगों को अपनी मेहनत की कमाई को बैंकों में जमा करने या निकालने के लिए और मेहनत न करना पड़े.
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