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गोवा,कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र? ये 6 विधायक छोड़ सकते हैं कांग्रेस

कांग्रेस के 6 विधायक जल्द की पार्टी का ‘हाथ’ छोड़ सकते हैं

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कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन संकट में हैं. गोवा में कांग्रेस के दो तिहाई विधायक बीजेपी में चले गए. अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस और एनसीपी को बड़ा झटका देने की तैयारी में है बीजेपी. इस बात के संकेत बीजेपी नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने महाराष्ट्र के सोलापुर में दिए. विखे पाटिल ने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी के कई मौजूदा विधायक बीजेपी में शामिल होने के लिए उनके संपर्क में हैं.

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पंढरपुर में आषाढ़ी एकादशी के मौके पर सीएम देवेंद्र फड़णवीस पूजा के लिए विठ्ठल मंदिर पहुंचे थे. वैसे तो ये दौरा पूरी तरह से धार्मिक होता है, लेकिन फड़णवीस ने चुनाव से पहले इसे राजनीतिक दौरे में बदल दिया. सीएम पंढरपुर के कांग्रेस विधायक भारत भालके के घर चाय पीने भी गए. इस मुलाकात के जरिए फड़णवीस ने बीजेपी में आने के लिए तैयार विधायकों को संकेत देने की कोशिश की.

कांग्रेस के 6 विधायक जल्द की पार्टी का 'हाथ' छोड़ सकते हैं

इस साल अक्टूबर महीने में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी और शिवसेना गठबंधन का कॉन्फिडेंस सातवें आसमान पर है. यही वजह भी है की कांग्रेस के कई विधायक चुनाव से पहले अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने की फिराक में हैं. जानकारी के मुताबिक इन विधायकों का बीजेपी में शामिल होना तय माना जा रहा है -

  • भारत भालके (पंढरपुर)
  • जयकुमार गोरे (माण)
  • सिद्धराम मेहत्रे (अक्कलकोट)
  • कालिदास कोलंबकर (वडाला)
  • अब्दुल सत्तार (सिल्लोड, कांग्रेस से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं )
  • नितेश राणे (कंकावली)

एनसीपी के भी कुछ विधायक चुनाव से पहले पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं.

229 विधानसभा सीटों पर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बढ़त

दो महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने मिलकर 41 सीटें जीती थी. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी को 124 और शिवसेना को 105 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल है. 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी ने अलग अलग चुनाव लड़ा था. इसमें बीजेपी ने 122 और शिवसेना ने 63 सीटों पर पर जीत हासिल की थी.

कांग्रेस का महाराष्ट्र के 42 विधानसभा क्षेत्रों पर कब्जा है और इनमें से पार्टी को केवल 9 क्षेत्रों में ही बढ़त बनाने में कामयाबी मिली है. वहीं, एनसीपी का हाल भी कुछ ज्यादा अच्छा नहीं है. पार्टी को अपनी 41 सीटों में से केवल 12 पर ही बढ़त हासिल है.

वैसे तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव और उनके मुद्दे पूरी तरह से अलग होते हैं. लेकिन ये भी सच्चाई है कि कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को विधानसभा चुनाव में जीत का स्वाद चखने के लिए नई रणनीती पर काम करना होगा. साथ ही मौजूदा विधायकों को पार्टी छोड़ने से रोकने का तरीका ढूंढना होगा.

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