एक तरफ पद्मवती के गौरव को लेकर देश भर में बवाल छिड़ा हुआ है, दूसरी ओर लोग और सरकार रानी लक्ष्मीबाई के स्मारक की भी सुध नहीं ले रहे हैं.
19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन बनारस में बने उनके स्मारक की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है. जिस लक्ष्मीबाई ने पहले स्वाधीनता संग्राम की रोशनी जलाई थी, आज उसी के स्मारक की बिजली एक हफ्ते से गुल है.
इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट का दावा है कि कनेक्शन गैरकानूनी था, इसलिए उसे काट दिया गया. कुछ एक्टिविस्ट का कहना है कि इस बारे में उन्होंने कमिश्नर, डीएम और म्यूनिसिपल बॉडी से बात करने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया. मेमोरियल के केयरटेकर से जब बिजली संबंधी सवाल पूछे गए तो उसने भी ऐसा ही जवाब दिया.
यह स्मारक नगर निगम के अंतर्गत आता है. हमने इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी का कोई जवाब नहीं आया.
मेमोरियल को उत्तरप्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट ने बनाया था. जिसके बाद इसे नगर निगम के हवाले कर दिया गया था.
उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को बनारस के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. लक्ष्मीबाई ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने तात्या टोपे, रानी हजरत महल, बहादुर शाह जफर, कुंवर सिंह जैसे लोगों के साथ मिलकर इस आंदोलन का नेतृत्व किया था.
1858 में ग्वालियर के पास अंग्रेज ह्यरोज ने रानी पर हमला किया था जिसमें वे वीरगति को प्राप्त हुई थीं.
(इनपुट्स- ANI)
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