देश की सार्वजनिक एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के निजीकरण को लेकर सरकारी तैयारी जारी है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले महीने ही एयर इंडिया के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एयर इंडिया के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव के बारे में कोई जानकारी नहीं है. एक आरटीआई के जवाब में यह खुलासा हुआ है.
सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने मंत्रालय से एयर इंडिया के प्रस्तावित विनिवेश से संबंधित दस्तावेज मुहैया कराने की मांग की थी, जिसमें मंत्रालयों के बीच और कार्यालयों के बीच किए गए विमर्श के दस्तावेज भी शामिल थे.
मंत्रालय के अवर सचिव चंद्र किशोर शुक्ल ने उन्हें जानकारी दी कि मांगी गई जानकारी किसी भी दस्तावेज के रूप में मंत्रालय के पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती.
सरकार इस एयरलाइन कंपनी के आंशिक या फिर पूर्ण बिक्री के विकल्पों पर काम कर रही है. लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार संबंधित मंत्रालय और कंपनी को ही इस प्रक्रिया से अलग रखा गया है.
जेटली ने की थी विनिवेश की घोषणा
इससे पहले 11 जुलाई को एयर इंडिया के अधिकारी एस. के. बजाज ने भी एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि कंपनी ने किसी भी अन्य अधिकारी के साथ कोई पत्राचार नहीं किया है और न ही इसके प्रस्तावित विनिवेश के संबंध में किसी भी विभाग से कोई पत्र प्राप्त हुआ है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 28 जून को एयर इंडिया के विनिवेश की घोषणा की थी और कहा था कि मंत्रिमंडल ने इस योजना को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है.
1930 में गठित हुई कंपनी एयर इंडिया को दशकों से महाराजा के नाम से जाना जाता रहा है. फिलहाल कंपनी पर 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है जिसके कारण इसका निजीकरण करने पर विचार किया गया.
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