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Allahabad University Fee Hike: 18 दिन से छात्रों का अनशन, अब तक क्या-क्या हुआ?

VC Sangita Srivastava ने कहा- कुछ स्टूडेंट झूठ फैला रहे हैं और कैंपस के एकेडमिक माहौल को खराब कर रहे हैं.

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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (University of Allahabad) में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ पिछले काफी दिनों से स्टूडेंट विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यह फैसला वापस न लिए जाने के विरोध में विश्वविद्यालय के छात्र 6 सितंबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं. पिछले दिनों एक छात्र ने आत्महत्या करने की भी कोशिश की. बता दें कि विश्वविद्यालय में चल रहे तमाम तरह के कोर्सेज में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई, जिसके बाद से छात्र परेशान है.

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आइए जानते हैं कि इस पूरे मामले में अब तक क्या-क्या हुआ है और विद्यार्थियों की क्या मांग है, इसके अलावा यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से क्या कहा जा रहा है.

यूनिवर्सिटी प्रशासन के द्वारा नोटीफिकेशन रिलीज किए हुए दो महीने से ज्यादा दिन गुजर चुके हैं. इसके बाद से ही विश्वविद्यालय के छात्र इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

5 जुलाई

पांच जुलाई को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नई फीस स्ट्रक्चर का नोटिफिकेशन जारी किया गया.

6 जुलाई

फीस बढ़ोतरी का नोटीफिकेशन जारी किए जाने एक दिन बाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया. यह फीस बढ़ोतरी के खिलाफ स्टूडेंट के विरोध प्रदर्शन की शुरुआत थी.

7 जुलाई

विरोध प्रदर्शन शुरू करने के बाद छात्रों द्वारा विश्वविद्याल प्रशासन को फीस बढ़ोतरी के खिलाफ ज्ञापन दिया गया.

NSUI के स्टेट प्रेसीडेंट और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि छात्रों के द्वारा प्रशासन और राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया और हम लोगों ने अपनी बात रखी कि इस तरह की फीस बढ़ोतरी सही नहीं है, इससे ग्रामीण परिवेश से आने वाले स्टूडेंट सीधे तौर पर शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.

उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद छात्रों ने जिलाधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा.

31 अगस्त

रिपोर्ट के मुताबिक फीस में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को 31 अगस्त को कार्यकारी परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया था, जो यूनिवर्सिटी से संबंधित फैसले लेने वाली टॉप बॉडी है.

5 सितंबर

यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फीस बढ़ोतरी मामले में 5 सितंबर को दिल्ली जाकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को ज्ञापन सौंपा और इसमें हस्तक्षेप करने के अलावा फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की.

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6 सितंबर

विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस नहीं लिए जाने पर छात्रों ने 6 सितंबर को उपवाश पर बैठकर विरोध जताना शुरू किया.

9 सितंबर

यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फीस बढ़ोतरी के खिलाफ फिर से राज्यपाल और राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया.

12 सितंबर

फीस बढ़ोतरी के खिलाफ यूनिवर्सिटी में आंदोलन कर रहे छात्रों ने विश्वविद्याल बंद का अह्वान किया.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 400% फीस वृद्धि बीजेपी सरकार का एक और युवा विरोधी कदम है. यहां यूपी-बिहार के साधारण परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं. फीस वृद्धि कर सरकार इन युवाओं से शिक्षा का एक बड़ा जरिया छीन लेगी. सरकार को छात्र-छात्राओं की बात सुनकर फीस वृद्धि का फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए.

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14 सितंबर

यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया कि सरकार की तरफ से विश्वविद्यालयों को साफ तौर पर यह संदेश दिया जा चुका है कि उन्हें अपने स्तर पर फंड का इंतजाम करना होगा और सरकार पर निर्भरता कम करनी होगी. कई अन्य संस्थाओं की तरह सरकार द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फंड में भी कटौती की गई है. पिछले 110 सालों से प्रति माह ट्यूशन फीस 12 रुपये है, चालू बिजली बिलों का भुगतान करने और अन्य रखरखाव के लिए शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी थी.

"1922 के बाद ऐसा पहला मौका"

विश्वविद्याल प्रशासन ने प्रेस नोट में कहा कि साल 1922 के बाद यह पहला मौका है जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि की जा रही है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उसी अनुपात में फीस वृद्धि की गई है जिस अनुपात में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस में वृद्धि हुई है. फीस वृद्धि के बाद भी विश्वविद्यालय में कोर्स की फीस तुलनात्मक रूप से अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में कम है.

15 सितंबर

विश्वविद्याल के छात्रों ने मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया.

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समाजवादी पार्टी ने ट्विटर हैंडल पर छात्रों के जुलूस का वीडियो शेयर करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा.

मशाल जुलूस निकालने वाले 15 छात्रों पर नामजद और 100 अज्ञात छात्रों पर यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर (कुलानुशाशक) प्रो. हर्ष कुमार ने कर्नलगंज थाने में एफआईआर दर्ज किया गया.

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इसके बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा कि जो सरकार छात्रों को आत्मदाह के मुहाने पर ले जाए…उससे युवाओं को नाउम्मीदगी और हताशा के सिवा कुछ नहीं मिलेगा.

छात्रों को धमकाती है पुलिस- छात्र नेता

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पुलिस द्वारा छात्रों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवाया जाता है और छात्रों के घरों पर पुलिस की टीम जाकर धमकाती है, माता पिता से बोला जाता है कि आपका भी भविष्य बर्बाद कर दिया जाएगा और बच्चों का भी. इसके अलावा पीडीए की टीम कहती है कि घरों को बुलडोजर से गिरा देंगे.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पूरी तरह से इमरजेंसी लागू है. फीस बढ़ोतरी के पीछे का पूरा खेल केंद्र सरकार के द्वारा किया गया है, जो नई शिक्षा नीति लेकर आई है. इस शिक्षा नीति के तहत ही यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी हुई है. अगर इस तरह से फीस बढ़ोतरी की जाएगी तो दलितों, पिछड़ों और गरीबों के बच्चे कहां पढ़ने जाएंगे.
अखिलेश यादव, स्टेट प्रेसीडेंट, NSUI
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B.A-B.SC., M.A-M.SC की पढ़ाई हुई महंगी

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के नए फीस स्ट्रक्चर के मुताबिक, बीए की फीस 975 रुपए से बढ़ाकर 3901 रुपए कर दी गई है. हालांकि, यह बिना लैब वाले विषयों के लिए है. बीए के जिन विषयों में लैब वर्क शामिल है, उनकी फीस 4115 रुपए कर दी गई है. इसी तरह बीएससी के लिए फीस 1125 रुपए से बढ़ाकर 4151 रुपए कर दी गई है.

अगर एमए की फीस की बात करें तो इसमें भी भारी बढ़ोतरी हुई है. एमए की फीस 1561 रुपए से बढ़ाकर 4901 रुपए कर दी गई है. वहीं एमए के जिन विषयों में लैब वर्क शामिल है, उनकी फीस 5401 रुपए कर दी गई है. एमएससी की फीस 1861 से बढ़कर 5401 रुपए हो गई है.

पहले बीकॉम की फीस 975 रुपए थी, जिसे बढ़ाकर 3901 रुपए कर दी गई. ऐसे ही एम.कॉम की फीस 1561 से बढ़कर 4901 रुपए की गई.

विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई भी महंगी हो गई है. एलएलबी की फीस 1275 से बढ़कर 4651, एलएलम की फीस 1561 से बढ़कर 4901 रुपए कर दी गई है.

इसके अलावा पीएचडी की फीस में भी भारी बढ़ोतरी की गई है. इससे पहले पीएचडी की फीस 501 रुपए थी, जिसे बढ़ाकर बिना लैब वाले विषयों के लिए 15,300 रुपए कर दी गई. वहीं लैब वाले विषयों के लिए स्टूडेंट्स को 15,800 रुपए देने होंगे.

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कुछ विद्यार्थी झूठ फैला रहे हैं- कुलपति

पिछले कई सालों से एक साल की फीस 975 थी, इस हिसाब से एक महीने की फीस 81 रूपए होती है. नए नियम के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक साल की फीस 4151 रूपए की है, इसके मुताबिक एक महीने की फीस 333 रूपए होती है. 400 प्रतिशत फीस के बढ़ोतरी की बात सही नहीं है.

विश्वविद्यालय के 30 से 40 स्टूडेंट हैं, जो ये झूठ फैला रहे हैं और कैंपस के एकेडमिक माहौल को खराब कर रहे हैं. विद्यार्थियों को गलत जानकारी देकर बहकाया जा रहा है.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ीं ये हस्तियां

  • मदन मोहन मालवीय

  • मोतीलाल नेहरू

  • शंकर दयाल शर्मा

  • पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर

  • पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह

  • पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा

  • गोविंद बल्लभ पंत

  • हेमवती नंदन बहुगुणा

  • एनडी तिवारी

इनके अलावा कई और भी हस्तियां हैं जिन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की है.

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